Mumbai News: मालवणी स्वप्नपूर्ति सोसायटी और उससे जुड़े फेडरेशन में व्याप्त कथित अवैध निर्माण व पार्किंग के मामलों ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। राष्ट्रीय मीडिया ने म्हाडा के अधिकारियों—मकाने, रोहित शिंदे और उपनिबंधक बी.एस. कटरे—के खिलाफ लापरवाही के आरोप लगाते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। मीडिया के लीगल सलाहकार एडवोकेट ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि कोर्ट द्वारा इन सभी अधिकारियों को समन जारी किया जाएगा, और उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देना होगा।


अवैध गतिविधियों का खुलासा: सोसायटी व फेडरेशन पर गंभीर आरोप
मालवणी स्वप्नपूर्ति सोसायटी के अध्यक्ष बालासाहेब भगत और फेडरेशन के पदाधिकारियों पर अवैध निर्माण, सरकारी भूमि पर कब्जा तथा अवैध पार्किंग शुरू करने के आरोप लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार:
- फेडरेशन का गठन होते ही सरकारी जगह पर अवैध पार्किंग शुरू हो गई, जिससे पूरा रोड लॉक हो गया था।
- मीडिया की शिकायत पर मुंबई क्षेत्र (गोरेगांव) के अधिकारियों ने कई महीनों बाद नोटिस जारी किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
- अवैध निर्माण की शिकायत पर जांच हुई और सिर्फ एक निर्माण को ध्वस्त किया गया, बाकी सब छूट गए।

मीडिया निदेशक अभिषेक अनिल वशिष्ठ ने बताया, “हमने 20 दिनों से अधिक समय पहले म्हाडा अधिकारी मकाने से एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन उनका बार-बार यही जवाब था कि ‘अभी कर रहे हैं’। पर वह कर नहीं रहे थे, जिससे यह साबित होता है कि मकाने भी फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव से मिले हुए हैं, जिसके बाद, हमारी लीगल टीम ने सभी अधिकारियों के खिलाफ याचिका दाखिल की। सूचना देने के बाद भी फेडरेशन अध्यक्ष व सचिव पर एफआईआर नहीं हुई, जो उनकी बेशर्मी को दर्शाता है।”
उपनिबंधक बी.एस. कटरे की भूमिका पर सवाल
उपनिबंधक कार्यालय के अधिकारी बी.एस. कटरे पर भी सोसायटी व फेडरेशन को बचाने का आरोप है। एक ऑडिट जांच में अध्यक्ष बालासाहेब भगत को दोषी ठहराया गया था, लेकिन कटरे ने सभी मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया। नतीजा? भगत ने अवैध निर्माण जारी रखा और सरकारी जगह पर पार्किंग शुरू कर दी।
- आज भी कई रूम मालिकों ने कटरे को पत्र लिखकर भगत को पद से हटाने की मांग की है, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

कोर्ट की भूमिका: क्यों नहीं दर्ज हुई FIR?
कोर्ट में दाखिल याचिका का मुख्य सवाल यही है—सोसायटी व फेडरेशन के पदाधिकारियों द्वारा इतने सारे अवैध कार्यों के बावजूद एफआईआर (FIR) क्यों नहीं दर्ज की गई? एडवोकेट मिश्रा ने कहा, “अधिकारियों को कोर्ट में स्पष्ट करना होगा कि शिकायतों के बावजूद कार्रवाई में देरी क्यों हुई। यह न सिर्फ लापरवाही, बल्कि संभावित सांठगांठ का मामला है।”


आगे क्या? म्हाडा का जिद्द बरकरार रहेगी या एक्शन होगा?
म्हाडा अधिकारियों की जिद्द अगर जारी रही, तो यह मामला और उलझ सकता है। मीडिया का कहना है कि बार-बार शिकायतें करने पर भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता, जो आम निवासियों का भरोसा तोड़ रहा है। अब सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर हैं—क्या समन जारी होने के बाद एफआईआर दर्ज होगी, या यह सिर्फ कागजी कार्रवाई साबित होगी?
यह घटना मुंबई के सामना नगर मालवाणी गेट नं 8 पर म्हाडा हाउसिंग क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार व लापरवाही को उजागर करती है। निवासियों से अपील है कि वे अपनी शिकायतें दर्ज कराएं और कानूनी सहायता लें।