OBC, आरक्षण और मुसलमान वाली पिच पर ताबड़तोड़ बैंटिंग, बीजेपी  की ‘400’ के स्कोर को छूने की कोशिश

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Why BJP Shifted To OBC Reservation Muslims: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य नेता अब खुलकर हिंदुत्व वाली पिच पर बैटिंग करने लगे हैं. विपक्ष का आरोप है कि भाजपा दूसरे और जरूरी एजेंडे को छोड़कर ओबीसी, आरक्षण और मुसलमानों पर शिफ्ट हो गई है. आइए, जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब खुलकर हिंदुत्व की राजनीति कर रही है. चुनावों के बीच जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुसलमान, मंगलसूत्र, मंदिर और आरक्षण पर कांग्रेस और दूसरी विरोधी पार्टियों को घेर रहे हैं. कांग्रेस पर प्रधानमंत्री मोदी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. हर चुनाव में ‘इस्लाम’ ऐसा पिच बन जाता है, जिस पर सियासत जमकर होती है. साल 2019 के चुनाव में भी ‘टोपी’ और ‘पहनावे’ को लेकर जमकर हंगामा बरपा था. कांग्रेस कहती है कि नरेंद्र मोदी और संघ का हिंदुत्व, नरफत वाला हिंदुत्व है. 

कांग्रेस ने 22 जनवरी को हुए राम मंदिर समारोह से खुद को दूर रखा था और इसे बीजेपी का कार्यक्रम बताया था. कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी ने भी कार्यक्रम से दूरी बनाई थी. दोनों पार्टियां खुद को अल्पसंख्यकों का हिमायती बताती हैं. ऐसे में अगर नेता अयोध्या जाते तो उनका वोट बैंक प्रभावित हो सकता था. बीजेपी इन मुद्दों बाखूबी कैश कराना जानती है. हिंदी हार्टलैंड में राम पर सियासत हो रही है. वजह साफ है कि यहां का एक बड़ा वर्ग, राम मंदिर आंदोलन में शामिल रहा है. बीजेपी राम मंदिर निर्माण का खुलकर क्रेडिट लेती है और उसे चुनावों में भुनाना भी बाखूबी जानती है.

ओबीसी, आरक्षण और मुसलमान पर क्यों शिफ्ट हुई भाजपा?

देश के किसी भी राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों की बात हो या फिर देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की. भाजपा के मुकाबले दूसरे पार्टियों की राजनीति का बसे ओबीसी, एससी-एसटी, मुसलमान ही रहा है. अगर मुसलमान को छोड़ दिया जाए तो ओबीसी और एसटी-एससी वाले विपक्ष के वोट बैंक पर पीएम मोदी ने बड़ी सेंधमारी कर दी है. इसका इशारा पीएम मोदी के तेलंगाना में दिए गए बयान से भी मिलता है, जिसमें उन्होंने कहा कि जब तक जिंदा हूं, एसटी-एससी, ओबीसी और दलितों को मिले आरक्षण को बांटकर मुसलमानों को नहीं देने दूंगा.

पीएम मोदी के इस बयान से कम से कम दलित, ओबीसी और एससी-एसटी वोटर्स में तो यही संदेश जाने वाला है कि भाजपा हमारी विरोधी नहीं, बल्कि सपोर्ट में है. हालांकि पीएम मोदी का ये बयान कितना कारगर होगा, ये तो 4 जून को नतीजों के दिन ही पता चल पाएगा. 

आखिर दूसरे एजेंडे पर क्यो बात नहीं कर रही है भाजपा?

भाजपा और उसके सबसे बड़े स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुलकर ओबीसी, दलित, एसटी-एससी के आरक्षण का बचाव कर रहे हैं. साथ ही मुस्लिमों को धर्म के आधार पर आरक्षण देने का विरोध कर रहे हैं. इसके पीछे का लॉजिक समझने के लिए 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव का रूख करना होगा. 

दरअसल, 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जातिवर्ग से बाहर निकलकर हिंदुत्व के पक्ष में वोट करने की अपील की थी. इसका फायदा भाजपा को हुआ भी. 2014 और 2019 में हिंदुत्व के नाम पर भाजपा ने बड़ा वोट बैंक बना लिया. अब 2019 के बाद आर्टिकल 370, राम मंदिर और CAA का वादा पूरा कर एक बार फिर भाजपा हिंदुत्व वाले वोट बैंक की ओर शिफ्ट हो रही है. 

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा को एक बार फिर हिदुत्व वाले एजेंडे पर वोट मिल सकता है. शायद यही वजह है कि धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने के कांग्रेस के फैसले को पीएम मोदी खुलेआम विरोध कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना के जहीराबाद में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए खुले मंच से कहा था कि कांग्रेस, उनके चट्टे-बट्टे, उनकी पूरी जमान कान खोलकर सुन लें, जब तक नरेंद्र मोदी जिंदा है, ओबीसी,दलित, एससी-एसटी का आरक्षण धर्म के आधार पर बांटकर मुसलमानों को नहीं देने देगा.

भाजपा के लिए हिंदुत्व की राजनीति का ये सबसे बड़ा कारण?

पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के ऐमरी गेथिन, थॉमस पिकेटी और MIT अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने एक रिसर्च किया. इसमें 1962 से लेकर 2014 तक के लोकसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न की स्टडी की गई. स्टडी में पाया गया कि इन 52 सालों में हुए चुनावों में असल मुद्दों के बजाए जाति और धार्मिक मुद्दे अधिक इफेक्टिव रहे हैं. 

अब जब पीएम मोदी खुलकर हिंदुत्व वाली पिच पर ताबड़तोड़ बैटिंग कर ‘400’ के स्कोर को छूने की कोशिश में जुटे हैं, तो उनके इस प्रयास को ऐमरी गेथिन, थॉमस पिकेटी और अभिजीत बनर्जी के रिसर्च से भी जोड़ा जा सकता है. 

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