शानदार आलमारियां बनाने से चंद्रयान कनेक्शन तक, रोचक है गोदरेज की कहानी, जानें कैसे बंटा साम्राज्य?

Godrej Group Split: सैकड़ों साल पुराने गोदरेज ग्रुप में बंटवारा औपचारिक तौर पर हो गया है और अब इसके बारे में शेयर मार्केट को भी जानकारी दे दी गई है.

भारत में रहने वाले लोगों के घरों में गोदरेज कंपनी ने अपनी जगह जरूर बनाई है. नहाने वाला साबुन हो या घर की सुरक्षा करने वाला ताला या फिर शानदार आलमारियां, अपने सैकड़ों साल के इतिहास में गोदरेज कंपनी ने तमाम ऐसे उत्पाद दिए हैं जिनके दम पर वह हर घर तक पहुंचा हुआ है. इस बार गोदरेज कंपनी अपने उत्पादों की वजह से नहीं बल्कि बंटवारे की वजह से चर्चा में है. गोदरेज में आखिरकार शांतिपूर्ण तरीके से बंटवारा हो गया है. इस बंटवारे के तहत परिवार के लोगों के साथ-साथ कई अन्य चेहरों को भी बड़े पद मिले हैं. 127 साल पुराने इस ग्रुप ने अपने कारोबार को अब कई हिस्सों में बांट दिया है.

बंटवारे के बाद गोदरेज ग्रुप ने शेयर मार्केट को आधिकारिक तौर पर जानकारी दे दी है. अब आदि गोदरेज और नादिर गोदरेज के पास गोरदेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स और एस्टेक लाइफ साइंसेस की कमान रहेगी.  ये कंपनियां गोदरेज इंडस्ट्रीज के अंदर आती हैं. वहीं, जमशेद गोदरेज और नायरिका होल्कर एंड फैमिली के पास फर्नीचर, होम अप्लाएंसेज, इंजीनियरिंग, सिस्टम फॉर एयरोस्पेसेज, इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट, सिक्योरिटी प्रॉडक्ट की कमान रहेगी. ये कंपनी गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप के तहत आती हैं.

कितना बड़ा है गोदरेज ग्रुप?

मौजूदा समय में इस ग्रुप की वैल्यू की बात करें तो यह लगभग 2.34 लाख करोड़ रुपये है. ताले, साबुन, ब्यूटी प्रोडक्ट, आलमारी, सिक्योरिटी प्रोडक्ट और अन्य दर्जनों उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को मिलाकर बने 127 साल पुराने इस घराने का ग्राहक लगभग हर भारतीय परिवार है. देशभर में इनके उत्पाद खरीदे जाते हैं. आगे भी सारे उत्पाद वैसे ही बाजार में आते रहेंगे लेकिन कंपनी के मालिकों के स्तर पर अब बंटवारा हो गया है.

कैसे हुई शुरुआत?

इस ग्रुप की शुरुआत होती है साल 1897 में. अर्देशियर गोदरे और उनके छोटे भाई पिरोजशा गोदरेज ने ताले बनाने के काम से शुरुआत की. कुछ ही साल बाद दोनों भाइयों ने साबुन बनाना शुरू किया. उस समय यह दुनिया का पहला एनिफल फैट फ्री साबुन था. साल 1923 में गोदरेज ने फर्नीचर और आलमारियां बनाने की शुरुआत की. कुछ ही सालों में शादियों में गोदरेज की आलमारियां सबसे अहम हिस्सा बन गईं. 

1952 में सिंथॉल साबुन आया और गोदरेज ग्रुप पूरे भारत में छा गया. 1990 के दशक में प्रॉपर्टी के क्षेत्र में गोदरेज ग्रुप की एंट्री. अगले ही साल कृषि व्यवसाय में भी हाथ आजमाया. 1997 में 100 साल पूरे करने तक यह देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार हो चुका था. 

क्या हैं चंद्रयान कनेक्शन?

1897 में ताले बनाने वाली कंपनी अब चांद तक का सफर तय कर चुकी है. साल 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 मिशन के लिए गोदरेज कंपनी ने ही लॉन्च व्हीकल और लूनर ऑर्बिटर तैयार किए थे.

कितना बड़ा है परिवार?

गोदरेज ग्रुप बनाने वाले दो भाइयों पिरोजशा और अर्देशियर ने इस ग्रुप को नई-नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया. अर्देशियर की कोई संतान नहीं थी जबकि पिरोजशा के चार बेटे- शोराब, दोसा, बुरजोर और नवल थे. इनमें से शोराब ऐसे थे जिनके बच्चे नहीं हुए. दोसा के बेटे रिशद फोटोग्राफी के शौकीन थे तो उन्होंने भी बिजनेस में कोई रुचि नहीं दिखाई. मौजूदा समय में बुरजोर गोदरेज के बच्चे आदि गोदरेज और नादिर गोदरेज और नवल गोदरेज के बच्चे जमशेद और स्मिता गोदरेज कृष्णा हैं.

आदि गोदरेज के बच्चे तान्या, पिरोजशा और साबा हैं. वहीं, नादिर के तीन बच्चे बुरजिस, होरमुसजी और शोराब हैं. परिवार के कई अन्य सदस्य भी हैं. इनमें से कुछ बिजनेस में सक्रिय हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अलग प्रोफेशन को चुना है. अब जो बंटवारा हुआ है उसके तहत अलग-अलग कंपनियां परिवार के अलग-अलग सदस्यों के पास चली गई हैं.

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