Divorce Case: बीते कुछ सालों में बढ़ते तलाक के मामलों के चलते प्रॉपर्टी को लेकर झगड़े भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी है कि किस संपत्ति पर किसका अधिकार होगा. 

भारत जैसे संस्कृति समृद्ध देश में विवाह की परंपरा एक-दूसरे के मिलन की एक पवित्र संस्था मानी जाती है. विवाह नए संबंधों और खुशी के साथ-साथ यह पति-पत्नी के अधिकारों और दायित्वों को भी सुनिश्चित करता है. जिसे तोड़ने का रास्ता कानूनी जटिलताओं से भरा है. आज के नए दौर में तलाक की संख्या में कांफी बढ़ोतरी हो गई है. तलाक एक ऐसा शब्द है जो केवल पति और पत्नी  के रिश्तों को ही नहीं, बल्कि दो परिवारों को भी अलग कर देता है. जब कभी भी तलाक की बात होती है तो पत्नी के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की चर्चा ज्यादा होती है. बहुत कम ही लोगों को तलाक के मामले में पति और पत्नी के अधिकारों के बारे में पता होगा. चलिए समझते हैं कि तलाक होने पर पत्नी का अपने पति की संपत्ति पर कितना दावा होता है.

हिंदू उत्तराधिकार एक्ट, 1956 के तहत पति के पुरखों की संपत्ति पर पत्नी का अधिकार नहीं होता है. इसी एक्ट की धारा 8 कहती है कि ऐसे मामले जहां पति को अपने पुरखों की संपत्ति विरासत में मिली हो, उस स्थिति में पति के मरने पर उसकी संपत्ति पर वह अपना दावा कर सकती है. हालांकि, उस आदमी की कोई अन्य तलाकशुदा पत्नी न हो. 

रजिस्टर्ड संपत्ति का क्या होगा?

तलाक होने के बाद, यह जानना काफी जरूरी हो जाता है कि अगर कोई संपत्ति केवल पति के नाम पर रजिस्टर्ड है तो उस संपत्ति पर पत्नी अपना दावा नहीं कर सकती है. कानून के मुताबिक, जिस भी व्यक्ति के नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड है, उसका मालिकाना हक उसी के पास होगा. यानी तलाक लेने वाली पत्नी को इसमें से कोई हिस्सा नहीं दिया जाएगा.

जब पति अपनी पत्नी को तलाक दिए बिना छोड़ देता है, तो कानून महिला के बच्चों को पति की संपत्ति में अपने हिस्से का दावा करने का अधिकार देता है. ऐसी परिस्थिति में कानून, विवाहित पत्नी और बच्चों का पक्ष लेता है. नतीजतन उस आदमी की संपत्ति पर उसकी पत्नी और उसके बच्चे अपना दावा कर सकते हैं. 

उपहार पर किसका अधिकार?

शादी से पहले या शादी के बाद लड़की के माता-पिता जो उपहार देते है उस पर पति का भी अधिकार होता है. अगर कोई संपत्ति जिसे पति ने उपहार के रूप में पत्नी को दिया हो लेकिन उस पर पत्नी का नाम न हो, ऐसे में उस पर पत्नी का अधिकार नहीं होगा.

अगर पति-पत्नी साथ में कोई संपत्ति खरीदते हैं लेकिन उसके लिए पैसे सिर्फ पति देता है तो तलाक की स्थिति में इस संपत्ति की कुल वैल्यू के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर पति का दावा मजबूत होता है. इसके अलावा, अगर साथ में ली गई संपत्ति पर पति-पत्नी दोनों ने मिलकर लोन लिया हो, तब तलाक के केस में उस संपत्ति का बंटवारा किया जाता है. यह बंटवारा उस अनुपात को ध्यान में रखकर होगा जिस हिसाब से दोनों ने अपना आर्थिक योगदान किया है. अगर किसी संपत्ति को पति द्वारा खरीदा गया हो और वह संपत्ति पत्नी के नाम की गई हो, तब उस संपत्ति की कानूनी मालकिन पत्नी ही होगी.

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