2018 में गिरफ्तार, नवंबर 2023 से घर में नजरबंद, अब महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी बेल

Gautam Navlakha Bail: चार साल से जेल में बंद, माओवादियों से लिंक और अर्नब नक्सल का टैग का आरोप झेल रहे महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. कहा जा रहा है कि चार सालों के लंबे अंतराल में भी गौतम नवलखा पर आरोप तय नहीं हो पाए हैं. गौतम नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था.

अगस्त 2018 में गिरफ्तार, नवंबर 2023 से घर में नजरबंद गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. चार साल से जेल में बंद नवलखा पर माओवादियों से लिंक और अर्बन नक्सल का टैग लगा है. हालांकि इन चार सालों में भी गौतम नवलखा पर आरोप तय नहीं हो पाए हैं. दरअसल, 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिया गया था, जिसके बाद कोरेगांव-भीमा वॉर मेमोरियल के पास हिंसा भड़क गई थी. इसी मामले में गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया गया था. महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट नवलखा को गिरफ्तार किए जाने के बाद उन पर माओवादियों से लिंक का भी आरोप लगा दिया गया.

हालांकि, गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें 2023 में जमानत दी, लेकिन बाद में अपने ही फैसले पर रोक लगा दी. इसके बाद से गौतम नवलखा ने घर में नजरबंद रखने की अपील की थी. फिर उन्हें उनके घर में नजरबंद रखा गया था. इस बीच नवलखा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की मांग की गई.

NIA ने हाईकोर्ट से की थी जमानत पर रोक को बढ़ाने की मांग

NIA की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नवलखा की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से लगाए गए रोक को आगे बढ़ाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की संयुक्त पीठ ने NIA की मांग को खारिज कर दिया और उन्हें जमानत दे दी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को नजरबंदी के दौरान सुरक्षा पर खर्च 20 लाख रुपये के भुगतान का भी आदेश दिया.

क्या था कोरेगांव-भीमा वॉर मेमोरियल हिंसा

31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की ओर से सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस दौरान कुछ वक्ताओं ने भाषण दिया था. दावा किया गया था कि ये भाषण काफी भड़काऊ थे, जिसके बाद कोरेगांव-भीमा वॉर मेमोरियल के पास हिंसा भड़की थी. करीब एक महीने बाद यानी जनवरी, 2018 में पुलिस ने पी. वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फ़रेरा, गौतम नवलखा, वरनो गोन्जाल्विस और अन्य के खिलाफ केस फाइल किया था. बाद में कई लोगों को अरेस्ट भी किया गया. कुल मिलाकर मामले में 16 एक्टिविस्ट्स को अरेस्ट किया गया था. इनमें से 6 लोग जमानत पर हैं. एक अन्य आरोपी, फादर स्टेन स्वामी की जुलाई 2021 में NIA की हिरासत में मौत हो गई थी. 

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