Vikas Divyakirti: ओल्ड राजेंद्र नगर की Rau’s IAS कोचिंग में हुए हादसे के दो दिन के बाद विकास दिव्यकीर्ति का जवाब आया है. बता दें कि विकास दिव्यकीर्ति की कोचिंग दृष्टि के बेसमेंट भी सील किए जा चुके हैं. अब विकास दिव्यकीर्ति ने दिल्ली नगर निगम की कार्रवाई का स्वागत किया है. हालांकि, उन्होंने कुछ मुद्दे भी उठाए हैं और कहा है कि यह समस्या जितनी सरल दिख रही है, उतनी सरल है नहीं.

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे के बाद से ही विकास दिव्यकीर्ति निशाने पर हैं. दृष्टि कोचिंग के संचालक और मशहूर शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति को लेकर छात्रों के मन में भी रोष है और वे उनका साथ भी चाहते हैं. इस मामले पर उनकी चुप्पी के चलते छात्रों ने विकास दिव्यकीर्ति पर भी जमकर सवाल उठाए. अब इस मामले पर विकास दिव्यकीर्ति का जवाब आया है. उन्होंने देर से जवाब देने के लिए माफी मांगी है और अपनी कोचिंग का पक्ष भी रखा है. उन्होंने कहा है कि कोचिंग संस्थानों से जुड़ी यह समस्या ऊपर से जितनी सरल दिखती है, उतनी है नहीं. दिव्यकीर्ति ने यह भी कहा है कि दिल्ली नगर निगम की कार्रवाई स्वागत योग्य है.

विकास दिव्यकीर्ति और दृष्टि IAS की ओर से दिए गए जवाब में लिखा गया है, ‘हमें खेद है कि हमने अपना पक्ष रखने में देरी की. वस्तुतः हम नहीं चाहते थे कि अधूरी जानकारी के आधार पर कुछ कहें. इस देरी के लिए हम हृदय से क्षमाप्रार्थी हैं. शनिवार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना, जिसमें 3 विद्यार्थियों श्रेया यादव, तान्या सोनी और निविन डाल्विन की असमय व दर्दनाक मृत्यु हुई पर हम गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. हम तीनों बच्चों के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवारजनों को यह अपूरणीय क्षति झेलने का हौसला प्रदान करें.’

‘हम सहयोग को तत्पर हैं’

उन्होंने आगे लिखा है, ‘ इस दुर्घटना को लेकर विद्यार्थियों में जो रोष दिख रहा है, वह पूरी तरह न्यायसंगत है. बहुत अच्छा होगा अगर इस रोष को सटीक दिशा मिले और सरकार कोचिंग संस्थाओं के लिये निश्चित दिशा-निर्देश लागू करे. इस संबंध में हम सरकार के साथ सक्रिय सहयोग करने को तत्पर हैं. कोचिंग संस्थानों से जुड़ी यह समस्या ऊपर से जितनी सरल दिखती है, उतनी है नहीं. इसके कई पक्ष हैं जिनके तार कानूनों की अस्पष्टता और अंतर्विरोध से जुड़ते हैं. डीडीए, एमसीडी, दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के नियमों में असंगति है. इसी तरह, ‘दिल्ली मास्टरप्लान-2021’, ‘नेशनल बिल्डिंग कोड’, ‘दिल्ली फायर रूल्स’ और ‘यूनिफाइड बिल्डिंग बाई-लॉज़’ के प्रावधानों में भी काफी अंतर्विरोध है.’

दृष्टि कोचिंग की बिल्डिंगों के बारे में विकास दिव्यकीर्ति ने कहा है, ‘वर्तमान में हमारी मैनेजमेंट में फायर एन्ड सेफ्टी ऑफिसर का विशेष पद है जिस पर कार्यरत अधिकारी नेशनल फायर सर्विस कॉलेज (नागपुर) से पढ़े हुए हैं और बड़े अस्पतालों और मॉल्स में 14 वर्षों तक यही कार्य कर चुके हैं. वह हर भवन का नियमित रूप से सेफ्टी ऑडिट करते हैं. इसके अतिरिक्त हर भवन के लिए एक-एक अधिकारी की ज़िम्मेदारी होती है कि वह रोज़ सुरक्षा के 16 बिंदुओं को चेक करे और इसकी सूचना ‘बिल्डिंग मेंटेनेंस ग्रुप’ पर अपडेट करे. हमारे क्लासरूम जिन भी भवनों में हैं, उनमें आने-जाने के लिये कम से कम दो रास्ते हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में बच्चे सुरक्षित निकल सकें.’

विकास दिव्यकीर्ति ने अपने जवाब में आगे लिखा है, ‘इस समस्या का स्थायी समाधान यह है कि सरकार दिल्ली में तीन-चार क्षेत्रों को चुनकर उन्हें कोचिंग संस्थानों के लिये नियत करे. अगर सरकार क्लासरूम्स, लाइब्रेरीज़, होस्टल खुद तैयार कराएगी तो न ज़्यादा किराए की समस्या रहेगी और न ही सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों की. एक बार फिर अगर जाने-अनजाने में हमारी टीम से कोई चूक हुई है तो हम उसके लिए पुनः खेद व्यक्त करते हैं. अब हम विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर और ज़्यादा सतर्क रहने का भरोसा दिलाते हैं.’

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