लखनऊ में सैकड़ों घरों पर बुलडोजर चला है. आबाद घरों को मटियामेट कर दिया गया है. लखनऊ डेवलेपमेंट अथॉरिटी के वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने कहा है कि प्राधिकरण अभी तक 700 घरों को जमींदोज कर चुका है, वहीं 500 घरों से ज्यादा अभी और तोड़े जाने वाले हैं. लखनऊ की आबाद बस्तियां, अब समतल हो चुकी हैं. यहां रहने वाले लोगों को फ्लैट्स दिए गए हैं. आखिर किस नियम के तहत ये घर तोड़े गए हैं, आइए जानते हैं.

लखनऊ के अकबर नगर में योगी सरकार का बुलडोजर घूम रहा है. अब तक 700 लोगों के घर गिराए जा चुके हैं, 500 से ज्यादा मकान और तोड़ जाने  हैं. लखनऊ डेवलेपमेंट अथॉरिटी के वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि रविवार शाम तक, कुल 500 घर तोड़ दिए जाएंगे, 700 घर पहले तोड़े जा चुके हैं. अवैध कॉलोनियों पर प्रशासनिक बुलडोजर चढ़ रहे हैं. यहां रहने वाले लोगों को अस्थाई तौर पर बसा दिया गया है. यहां से विस्थापित हुए लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैट्स दिए गए हैं. कई लोगों का दावा है कि उन्हें अभी तक घर नहीं मिला है, जिन्हें घर मिला है, वे पानी और बिजली नदारद होने की शिकायतें कर रहे हैं.

योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते साल दिसंबर 2023 में कुकरैल नदी और बंधे के बीच बसे अकबर नगर में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की थी. मार्च 2024 में जब कुछ दुकानें तोड़ी गईं तो लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी. सरकार के हक में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और मकानों को अवैध बता दिया गया. लोगों को 3 महीने का नोटिस दिया गया. लोकसभा चुनावों में लगी आचार संहिता की वजह से ध्वस्तीकरण तो रुक गया लेकिन जैसे ही नई सरकार बनी, एक्शन शुरू हो गया. 10 जून से ही घर तोड़े जा रहे हैं. 

सरकार, तोड़े गए घरों के रूट पर कुकरैल रिवर फ्रंट बनवाएगी. कुकरैल नदी को संरक्षित करने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है. यहां  नदी को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जाएगी और रिवर फ्रंट बनेगा. यहां भूमाफियाओं ने कई सैकड़ों ने घर बनवाए. सारे घर अवैध थे. 

क्यों तोड़े जा रहे हैं घर, जान लीजिए नियम

लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुताबिक अकबर नगर, बाढ़ प्रभावित इलाके में आता है. इसे हाई फ्लड जोन में रखा गया है. अकबर नगर में 1200 से ज्यादा मकान हैं, जिन्हें तोड़ा जा रहा है. कभी ये कुकरैल नदी थी, जो अवैध अतिक्रमण के चलते नाले में तब्दील हो गई है. सरकार ने इसे डूब क्षेत्र घोषित किया है. नदियों को समेटकर लोगों ने घर बनाए, इसलिए घर तोड़े जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर नदी क्षेत्र या हाई फ्लड जोन के नियम क्या होते हैं, जिनकी वजह से ये घर तोड़े गए हैं.

कुकरैल नदी के तट पर अवैध बने मकान इसलिए हो रहे ध्वस्त

कुकरैल नदी, गोमती नदी की सहायक नदी है. यह नदी, कुकरैल महोना में अस्ती गांव के उत्तर से निकलती है और भीखमपुर के पास गोमती नदी में जा गिरती है. एक जमाने में कुकरैल नदी बेहद साफ नदी थी लेकिन शहरी अतिक्रमण ने इसके अस्तित्व को ही खत्म कर दिया. देश के कई राज्यों में नदी क्षेत्रों के पास किसी भी तरह के पक्के निर्माण को लेकर नियम बेहद सख्त हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में इसे लेकर अलग-अलग नियम अपनाए जाते हैं. आंध्र प्रदेश में नदी तट से 100 मीटर दूरी के अंगर किसी भी तरह के निर्माण को अवैध माना जाता है. बिहार में नदी से 200 मीटर की दूरी तक किसी भी तरह की स्थाई सरंचना नहीं बनाई जा सकती है. सरकार इसे बढ़ा भी सकती है.

डूब क्षेत्र के क्या होते हैं नियम? जान लीजिए कानून

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को एक केस की सुनवाई के दौरान आदेश दिया था कि गोमती नदी के 100 मीटर तक, किसी भी तरह की निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी जाए. नदी क्षेत्र में आने के बाद भी अकबरनगर के इस इलाके में खूब घर बनाए और बेचे गए. वहां से नदी तट का अंतर 10 मीटर से भी कम होता चला गया. यही वजह है कि कोर्ट ने भी ध्वस्तीकरण के इस आदेश को बरकरार रखा है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के नियमों की मानें तो नदी की धारा से 100 मीटर आर-पार के दायरे में कान नहीं बनाए जाने चाहिए. यह डूब क्षेत्र होता है.

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