Friday, April 18, 2025
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उदयभान की रिहाई से बदलेगा UP का राजनीतिक नक्शा; समझिए सियासी मायने

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ लेने वाली है. जवाहर यादव हत्याकांड में जेल की सजा काट रहे पूर्व बीजेपी विधायक उदयभान करवरिया की रिहाई हो चुकी है. राज्यपाल ने सरकार द्वारा की गई सिफारिश को मंजूर करते हुए उनकी सजा माफ कर दी है. 19 जुलाई को राज्यपाल ने आदेश जारी किया था. उदयभान करवरिया जेल से बाहर आ गए हैं. उनके बाहर आने से प्रयागराज मंडल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

यूपी की राजनीति एक नया मोड लेने वाली है. एक समय था जब प्रयागराज मंडल में  करवरिया बंधुओं की तूती बोला करती थी. लेकिन 1996 में हुई विधायक जवाहर पंडित की हत्या के मामले में 2019 में उदयभान करवरिया को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी. उदयभान ने जेल करीब 9 साल बितए थे, उनके सही आचरण को देखते हुए यूपी सरकार ने उनकी सजा माफ कर दी है. उदयभान करवरिया जेल से बाहर आ गए हैं. उनके बाहर आने से प्रयागराज मंडल की राजनीतिक फिजा बदलेगी.      

उदयभान करवरिया के पिता भुक्कल महाराज का प्रयागराज मंडल में बहुत रसूक था. भुक्कल महाराज का असली नाम वशिष्ठ नारायण करवरिया था, लेकिन आपराधिक दुनिया में लोग उन्हें भुक्कल महाराज के नाम से ही जानते थे और इसी नाम से डरते थे. भुक्कल महाराज से ही अतीक अहमद ने अपराध की दुनिया के दांव पेंच सीखे थे. गुरु से अतीक अहमद की अनबन हुई इसके बाद उसने अपना ही गैंग बना लिया और गुरु को अपने रास्ते से साफ कर खुद का सामराज्य खड़ा किया. 

राज्यपाल ने इस प्रदेश सरकार की पैरवी पर माफ की सजा

संविधान के अनुच्छेद 161 का इस्तेमाल करके राज्यपाल ने प्रदेश सरकार की सिफारिश पर कैदी की सजा को माफ कर उसे रिहाई का आदेश दे सकता है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 161 राज्यपाल को शक्ति देता है कि वह  किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए कैदी की सजा माफ कर सकता है, सजा को कम कर सकता है.

उदयभान के अच्छे आचरणों को चलते उसकी रिहाई हुई. योगी सरकार ने राज्यपाल से उदयभान की रिहाई की सिफारिश की थी.  राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करके 19 जुलाई को उदयभान की रिहाई का आदेश दिया. 

जवाहर यादव की पत्नी बोलीं – सुप्रीम कोर्ट में इस रिहाई को दूंगी चुनौती 

उदयभान की रिहाई के बाद से सरकार पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. जवाहर यादव की पत्नी और प्रतापपुर विधानसभा सीट से विधायक विजमा यादव ने कहा कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी. उन्होंने कहा कि 1996 से मैं अपनी पति को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रही हूं. सरकार ने जिस तरह से उम्रकैद की सजा को माफ किया है ऐसे में तो हर उस कैदी की उम्रकैद की सजा को माफ कर देना चाहिए.  

विजमा यादव ने कहा कि करवरिया बंधुओं का पूरा परिवरा क्राइम की दुनिया में लिप्त है. सरकार को इस तरह का आदेश नहीं देना चाहिए था. हम इस आदेश को चुनौती देंगे. 

उदयभान की रिहाई से किसको होगा फायदा?

उदयभान करवरिया की रिहाई से यूपी में बीजेपी को फायदा हो सकता है. बीजेपी की टिकट पर बारा विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके उदयभान अभी भी प्रयागराज मंडल के सबसे बड़े ब्राह्मण नेताओं में से एक हैं. एक समय था जब बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी उदयभान को ही अपनी चुनावी बागडोर सौंप देते थे. उदयभान के जेल जाने से सब कुछ बदल गया.

राजनीति में कई रिश्तेदार 

उदयभान करवरिया ने 2002 और 2007 में बारा विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव जीता. वहीं, उनके बड़े भाई कपिल मुनि करवरिया 2009 में बसपा के टिकट पर सांसद बने थे. उदय के छोटे भाई सूरजभान करवरिया विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं. उनके कई रिश्तेदार भी राजनीति में  हैं.

कौशांबी और प्रयागराज में बीजेपी को मजबूत करेंगे उदयभान करवरिया?

उदयभान करवरिया जेल से बाहर आ गए हैं. अब ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह प्रयागराज मंडल में बीजेपी को मजबूत करने का काम कर सकते हैं. अभी भी ब्राह्मण वोटरों में उनकी काफी पकड़ है.  उनकी पत्नी को 2022 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. उनकी तबियत भी खराब रहती है. ऐसे में कहा जा रहा है कि उदयभान अपने बेटे सक्षम करवरिया को राजनीति में लॉन्च कर सकते हैं.     

केशव प्रसाद मौर्य को घेरने की कोशिश?

उदयभान के जेल से बाहर आने की घटना पर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कहीं न कहीं केशव प्रसाद मौर्य के सामने एक तरह से लकीर खींचकर उनकी घेराबंदी करने की कोशिश की जा रही है. विश्लेषक कह रहे हैं कि उदयभान करवरिया के जरिए यूपी सूबे के सबसे ताकतवर शख्स ने केशव प्रसाद मौर्य की घर में घेराबंदी कर दी है. 

पिता की हुई हत्या तो बेटे ने बदला लेने के लिए फिर बनाया गैंग

गुरु से अलग होने के बाद अतीक अहमद ने अपना गैंग बना लिया था. गैंग बनाकर उसने अपने गुरु को ही मौत के घाट उतार दिया. भुक्कल महाराज की मौत के बाद इलाहाबाद मंडल में उसका दबदबा हो गया. इधर भुक्कल महाराज के बेटा इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद नौकरी करने दिल्ली जाने की सोच रहा था लेकिन पिता की हत्या की खबर सुनकर उसने अपना इरादा बदल दिया.

पिता के गैंग को किया एकत्र और शुरू की रंगदारी 

पिता की हत्या के बाद करवरिया गैंग बिखर चुका था. उदयभान करवरिया ने गैंग को एकत्र किया फिर पिता की तरह रंगदारी शुरू कर दी. धीरे-धीरे करके उदयभान ने भी अपने पिता की तरह अपना कुनबा बना लिया. वह अभी भी बदले की आग में सुलग रहा था. इधर अतीक ने अपनी ताकत और बढ़ा ली थी. अतीक से टक्कर लेना उदयभान की बस की बात नहीं थी.

उधर झूंसी से सपा विधायक जवाहर यादव भी रियल एस्टेट और खनन में रंगदारी कर रहा था. जवाहर के पैर पसारने से उदयभान को दिक्कत होने लगी. उसे हर मोर्चे पर जवाहर यादव से शिकस्त मिलने लगी. अब उदयभान के सामने दो चुनौतियां थी पहली चुनौती अतीक अहमद और दूसरी जवाहर यादव

पहली बार प्रयागराज में  एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग

प्रयागराज में पहली बार साल 1996 में एके 47 की गोलियों की अंधाधुंध फायरिंग सुनने को मिली थी. इस फायरिंग ने जवाहर यादव की हत्या को अंजाम दिया था. जवाहर यादव की हत्या करके उदयभान ने अतीक अहमद को ये संदेश दे दिया कि वह अपने पिता का बदला लेकर रहेगा उसे कोई रोक नहीं सकता. करवरिया को इस हत्याकांड में जेल जाना पड़ा. 6 साल जेल में बिताने के बाद जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद उदयभान करवरिया ने चुनाव लड़ा और बारा सीट से विधायक बना.

2012 में बदली सरकार तो बदल गई राजनीतिक फिजा  

2012 में सरकार बदली तो सपा सरकार ने करवरिया बंधुओं पर चाबुक चलाया. 2013 में सरकार के सामने करवरिया बंधुओं ने आत्मसमर्पण कर दिया था. 2017 में यूपी में बीजेपी की वापसी हुई तो उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया मेजा सीट से विधायक चुनी गईं. उन्होंने इस मुकदमे को खत्म करने का बहुत दबाव बनाया लेकिन सभी सबूत करवरिया बंधुओं के खिलाफ थे. अदालत ने सभी आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई.

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