Next of Kin Rules:  हाल ही में कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. शहीद के माता-पिता ने कहा कि उनकी बहु बेटे का पुरस्कार और उससे जुड़ी सभी चीजें अपने साथ लेकर चली गई है और परिवार से नाता खत्म कर लिया है. कैप्टन के मां-बाप का बयान सोशल मीडिया पर खासा वायरल हैं. उन्होंने सरकार से सेना के निकटतम परिजन संबंधी नियमों में बदलाव की मांग की है.

Next of Kin Rules: कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था.हालांकि अब सिंह के माता-पिता का कहना है कि उनकी बहू स्मृति ने कीर्ति चक्र छीन लिया है. इसके बाद कैप्टन के माता-पिता ने भारतीय सेना से अपने निकटतम परिजन प्रोटोकाल में चेंज करने का आग्रह किया है. कैप्टन अंशुमान सिंह पिछले साल सियाचिन में आग लगने की घटना में दूसरों को बचाने की कोशिश में शहीद हो गए थे. 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पांच जुलाई को उनकी विधवा स्मृति सिंह और मां मंजू सिंह को यह पुरस्कार प्रदान किया था. हाल ही में एक वीडियो इंटरव्यू में शहीद कैप्टन के माता-पिता ने कहा था कि उनका बेटा शहीद हो गया और अब बहु भी चली गई. इस दौरान उन्होंने कहा था कि उनकी बहु बेटे का कीर्ति चक्र भी अपने साथ लेकर चली गई.उनके पास अपने बेटे की कोई निशानी नहीं बची. अंशुमान के माता-पिता इसी बात को लेकर सरकार से सेना के निकटतम संबंधियों के नियमों ( NOK ) में बदलाव की मांग कर रहे हैं. 

भारतीय सेना के निकटतम संबंधियों के नियम क्या हैं?

किसी व्यक्ति के जीवनसाथी, निकटतम रिश्तेदार, परिवार के सदस्य या कानूनी अभिभावक को ‘निकटतम रिश्तेदार’ माना जाता है.   सेना के नियमों के अनुसार, अगर कोई घटना सेवा में किसी व्यक्ति को प्रभावित करती है, तो निकटतम रिश्तेदार (NOK) को अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है. जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है तो उसके माता-पिता या अभिभावकों को उसके निकटतम रिश्तेदार (एनओके) के रूप में पंजीकृत किया जाता है. नियमों के अनुसार, जब कोई कैडेट या अधिकारी विवाह करता है तो उसके माता-पिता के बजाय उसके जीवनसाथी को उसका निकटतम रिश्तेदार माना जाता है.   

कैप्टन सिंह की मृत्यु कैसे हुई?

कैप्टन अंशुमान सिंह सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में 26 पंजाब रेजिमेंट के साथ मेडिकल ऑफिसर के तौर पर तैनात थे.  पिछले साल 19 जुलाई को सुबह 3 बजे के करीब भारतीय सेना के गोला-बारूद के भंडार में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी. कैप्टन सिंह ने फाइबरग्लास की झोपड़ी में आग लगी देखी और तुरंत ही उसमें फंसे लोगों को बचाने के लिए काम किया, लेकिन उनकी मौत हो गई.

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