Prajwal Revanna Sex Scandal: कर्नाटक में बीजेपी के 400 पार के सपने को बड़ा झटका लगने की खबर आ रही है. कर्नाटक में एक चरण का मतदान हो चुका है और दूसरे चरण के मतदान से पहले एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल ने बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. इसका सियासी आंकड़ों पर क्या फर्क पड़ेगा एक नजर डालते हैं.
कर्नाटक में लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच जेडीएस नेता एचडी रेवन्ना और उनके सांसद बेटे प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले ने एनडीए को साफ तौर पर शर्मिंदा किया है, जो क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए लीक से हटकर चला गया.
होलेनारसिपुरा शहर की पुलिस ने पूर्व मंत्री और उनके बेटे के खिलाफ घर की महिला सहायिका की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की है, जिसके कुछ देर बाद ही सिद्धारमैया सरकार ने मामले पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए एक एसआईटी (विशेष जांच दल) के गठन का ऐलान कर दिया और चुनावी अभियान की सरगर्मियों को तेज कर दिया है.
पीएम के कर्नाटक दौरे के बीच हुआ स्कैंडल का खुलासा
प्रज्वल रेवन्ना पर ये आरोप उस वक्त सुर्खियों में आए जब रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक में चार जनसभाओं को संबोधित कर रहे थे और सिद्धारमैया सरकार की विफलताओं को गिना रहे थे. इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस सरकार पर फाइनेंशियल मिस मैनेजमेंट का आरोप लगाने के अलावा, हुबली में हुई कथित लव जिहाद की घटना का भी उल्लेख किया जिसमें नेहा हिरेमठ (23) की कॉलेज कैंपस से दिनदहाड़े अगवा कर मार दिया गया था.
पीएम मोदी ने कहा, ‘राज्य में एक बेटी के साथ जो हुआ उससे पूरा देश चिंतित है. कांग्रेस सरकार कर्नाटक को बर्बाद करने में जुटी है. अपराध को नियंत्रित करने के बजाय, वे असामाजिक, राष्ट्रविरोधी मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं.
स्कैंडल सामने आने के बाद से चुप हैं पीएम
सोमवार सुबह बागलकोट में एक रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कर्नाटक में सरकार नहीं बल्कि एक वसूली गैंग का गिरोह चल रहा है. उन्होंने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए लोगों से भाजपा को वोट देने को कहा. पुणे रवाना होने से पहले उन्होंने अपने पूरे अपने प्रचार दौरे के दौरान रेवन्ना या नेहा हीरेमठ का कोई जिक्र नहीं किया.
क्या इस घटना का चुनावों पर पड़ेगा कोई असर?
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक की 28 सीटों पर दो चरणों में मतदान हो रहा है जिसके पहले चरण में कर्नाटक ने 14 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव पूरा कर लिया है. इसमें ज्यादातर पुराने मैसूर क्षेत्र में मतदान हुआ है. 7 मई को मतदान के लिए कर्नाटक में बाकी की 14 सीटों पर भी मतदान किया जाना है जिससे पहले बीजेपी राज्य में अपनी सहयोगी पार्टी के नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आने से नाराज हो सकती है.
हालांकि इसका असर सिर्फ शिवमोगा और दावणगेरे को छोड़कर ज्यादातर सीटों पर होने की संभावना कम है क्योंकि ये दोनों सीटें उस क्षेत्र के करीब हैं जहां पर ये पूरा स्कैंडल हुआ है. हासन लोकसभा सीट पर प्रज्वल रेवन्ना का मुकाबला कांग्रेस के श्रेयस पटेल से है जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ था और अगर यह स्कैंडल कुछ दिन पहले सामने आ जाता तो प्रज्वल के प्रचार अभियान पर इसका काफी ज्यादा नेगेटिव असर पड़ सकता था.
देश छोड़कर गायब हैं रेवन्ना
जिस तरह से पूरा घटनाक्रम हुआ उसे देखकर ऐसा लगता है कि आरोपों को साबित करने वाली एक ‘पेन ड्राइव’ चुनाव के दिन से 48 घंटे पहले कुछ शहरी इलाकों में प्रसारित हुई और मुसीबत की भनक पाकर प्रज्वल 26 अप्रैल की रात को ही देश छोड़कर यूरोप के लिए रवाना हो गए.
जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रेवन्ना परिवार के खिलाफ हासन और बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन किया और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की, वहीं प्रज्वल के चाचा एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि वह राज्य सरकार की ओर से दी गई जांच का स्वागत करते हैं और इसकी रिपोर्ट का इंतजार करेंगे. हम किसी को गुनहगार या उसे बचाने की बात नहीं करेंगे बल्कि चाहेंगे कि कानून अपना काम करे और उसमें जो भी मदद हो सकती है वो करेंगे.
पहली बार नहीं आई है प्रज्वल की वजह से मुसीबत
यह दूसरी बार है जब प्रज्वल रेवन्ना मुसीबत में फंसी हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी में उनके प्रतिद्वंद्वी ए मंजू ने एक चुनाव याचिका दायर की थी जिसमें उन पर चुनाव आयोग के सामने अपनी कुछ संपत्तियों का खुलासा नहीं करने का आरोप लगाया था. 4 साल तक चली सुनवाई के बाद, कर्नाटक हाई कोर्ट ने आरोपों में दम पाया और प्रज्वल रेवन्ना को लोकसभा के सदस्य होने से अयोग्य घोषित कर दिया. जब प्रज्वल सुप्रीम कोर्ट में अपील करने गए, तो अदालत ने उनकी अयोग्यता पर रोक लगा दी और मामले को वापस हाई कोर्ट में भेज दिया.
अगर जीते फिर भी उपचुनाव होने तय
चूंकि मामला अभी तक हल नहीं हुआ है, इसलिए बीजेपी की ओर से एक सुझाव दिया गया कि इन चुनावों में प्रज्वल को हट जाना चाहिए और इस बार चुनाव में किसी और के खड़े होने के लिए रास्ता बनाना चाहिए. लेकिन, पूर्व प्रधानमंत्री और प्रज्वल के दादा एचडी देवगौड़ा ने वकीलों से सलाह लेने के बाद प्रज्वल के नामांकन को आगे बढ़ाने का फैसला किया.
अगर प्रज्वल लोकसभा के लिए फिर से चुने जाते हैं, तो भी यौन उत्पीड़न का मामला आने वाले कुछ समय के लिए उन्हें और उनके राजनीतिक करियर को परेशान करेगा. इतना ही नहीं अगर कर्नाटक में बची हुई सीटों पर इसका असर दिखता है तो बीजेपी के मिशन साउथ को बड़ा झटका लगेगा. एनडीए ने इस बार अबकी पार 400 पार का नारा दिया है और उसे पूरा करने के लिए कर्नाटक की 28 सीटें बेहद अहम रोल निभाने वाली हैं लेकिन राज्य में दूसरे चरण के मतदान से पहले अब पूरा समीकरण ही बदलता नजर आ सकता है.