• बच्चों के आँखों की नियमित हो जाँच, करें चश्मे का प्रयोग
• मधुमेह, उच्च रक्तचाप और पोषक तत्वों की कमी आंखों की सेहत को करती है प्रभावित
• धूम्रपान करने से 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मोतियाबिंद का खतरा
वाराणसी/संसद वाणी : विश्व दृष्टि दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है, जोकि प्रत्येक वर्ष अक्तूबर माह के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है| विश्व दृष्टि दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को विजन और आंखों से जुड़ी समस्या के प्रति जागरूक करना है। इस दिन को मनाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस दिवस को लेकर जागरूक किया जाता है। इस वर्ष विश्व दृष्टि दिवस की थीम “बच्चों, अपनी आँखों से प्यार करो” है, यह थीम हमारी आँखों और दृष्टि की सुरक्षा, दृष्टि दोष और अंधेपन के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर है| जनपद में सभी सरकारी अस्पतालों में बच्चों के लिए नेत्र स्वास्थ्य सेवायें सुलभ और उपलब्ध हैं| यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी का|
उन्होंने बताया कि आजकल के खराब लाइफस्टाइल के चलते न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि लोगों के देखने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ रहा है। प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को दुनियाभर में विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाकर दृष्टि से जुड़ी समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है और आंखों की रोशनी बढ़ाने के टिप्स शेयर किए जाते हैं। इस दिवस को मनाकर लोगों का ध्यान आंखों की समस्याओं की ओर आकर्षित किया जाता है ताकि आंखों की रोशनी को कम होने से रोका जा सके।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी अन्धता निवारण डॉ संजय राय ने बताया कि विश्व दृष्टि दिवस के अवसर पर जिला अस्पताल सहित ग्रामीण क्षेत्रों के सभी ब्लाकों के विभिन्न स्कूलों में बच्चों के नेत्र परीक्षण का कार्य किया गया| इस वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों के आँखों की जाँच कराकर अभी तक बच्चों को 1611 चश्में निःशुल्क वितरित किये जा चुके हैं, आगामी दिनों में भी यह कार्यक्रम चलता रहेगा और उनके आँखों को जाँचकर जरुरत की दवायें और चश्में वितरित किए जायेंगे| इसके अतिरिक्त इस वर्ष बुजुर्गों के आँखों की जाँच कर अभी तक लगभग 5000 से ज्यादा लोंगो का मोतियाबिंद का आपरेशन निःशुल्क कराया जा चुका है | इसके लिए पौष्टिक आहार का सेवन, आंखों को चोट से बचाने के साथ दिनचर्या में कुछ बदलाव आवश्यक हैं। खासतौर पर बच्चों को नियमित जाँच कराकर चश्मे का प्रयोग जरुर करना चाहिये|डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी आंखों की सेहत को प्रभावित करती हैं, इन्हें भी कंट्रोल रखा जाना चाहिए। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सभी लोगों को नियमित जांच करानी चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ हर छह महीने में नियमित रूप से आंखों की जांच जरूरी है। इससे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और दृष्टि दोष जैसी समस्याओं का समय रहते पता चल सकता है। आंखों की समय से इलाज के माध्यम से गंभीर समस्याओं और अंधेपन से बचा जा सकता है।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप और पोषक तत्वों की कमी के कारण भी आंखों की सेहत प्रभावित हो सकती है। डायबिटीज रोगियों में डायबिटिक रेटनोपैथी की दिक्कत होने का खतरा रहता है, जो आंखों की रेटिना और अन्य कोशिकाओं को क्षति पहुंचा सकती है। उम्र बढ़ने के साथ चूंकि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर दोनों का जोखिम अधिक होता है, इसलिए इन्हें नियंत्रित करने के उपाय करके आंखों की रोशनी को कमजोर होने से बचाया जा सकता है। जिन आदतों को आंखों को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचाने वाला माना जाता है, धूम्रपान उनमें से एक है। धूम्रपान करने से 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मोतियाबिंद और मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान से ब्लड प्रेशर बढ़ने का भी जोखिम रहता है, इसलिए इस आदत को छोड़ना सेहत को ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है।