उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जनवरी में हुई युवक के हत्या के मामले में यूपी पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. पुलिस ने करीब 8 महीने बाद ट्रैफिक लाइन में तैनात रविंद्र पाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं इस मामले में मृतक के पिता ने जिन लोगों पर FIR दर्ज करवाई थी उन सभी का नाम अब इस मामले से हटाया जाएगा.
उत्तर प्रदेश से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है. यहां जिस युवक की हत्या समलैंगिक संबंधों में की गई थी उसके आरोपी को यूपी पुलिस ने अब गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी कोई और नहीं बल्की वह एक ट्रैफिक सिपाही है. दरअसल यूपी पुलिस ने युवक का शव सदर में रेलवे लाइन किनारे में 13 जनवरी को बरामद किया था.
इस मामले में मृतक के पिता ने बेटे के चार दोस्तों को नामजद कराया था लेकिन विवेचना के दौरान ट्रैफिक सिपाही का नाम इस मामले में सामने आया. पुलिस ने ट्रैफिक लाइन में तैनात सिपाही रवींद्र पास सिंह को गिरफ्तार कर लिया है.इस पूरे मामले में डेटिंग एप्स की अहम भूमिका है.
क्या है पूरा मामला?
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि ट्रैफिक लाइन में तैनात रविंद्र पाल सिंह ने ग्राइंडर ऐप के जरिए इंदिरा नगर निवासी 22 साल के युवक से संपर्क किया था. 13 जनवरी 2024 को सिपाही ने फोन कर युवक को समलैंगिक संबंध बनाने के लिए बुलाया रवींद्र के कैंट स्थित आवास पर पहुंचने के बाद दोनों के बीच पैसों को लेकर कहासुनी हो गई. युवक ने अनैतिक संबंध के बदले 500 रुपये मांगे और सिपाही ने 300 देने की बात कही. फिर किसी तरह मामला शांत हुआ तो दोनों ने शराब पी. इस दौरान ट्रैफिक सिपाही ने युवक की शराब में कीटनाशक पदार्थ मिला दिया, जिसे पीने से उस युवक की मौत हो गई. फिर सिपाही ने उसे वहीं फेंक दिया.
ग्राइंडर ऐप पर मिले थे मृतक युवक और सिपाही
उसके बाद सिपाही ने ग्राइंडर ऐप से सारा चैट डिलीट कर दिया. इसके अलावा जहां कही भी दोनों के चैट्स थे उन सबको मिटा दिया. वहीं पिता द्वारा खोजने पर जब बेटे का शव मिला तो उन्होंने बालू अड्डा निवासी सूरज यादव, पलक, राज ठाकुर और एक शख्स को आरोपी बनाया. हालांकि जांच में नामजद किसी भी आरोपी को इस केस में भूमिका नहीं मिली.
सभी का नाम मुकदमा से हटाया जाएगा
हालांकि पुलिस ने जब युवक के फोन से लास्ट कॉल करने वालो की खोज की तो इसमें एक नंबर ट्रैफिक हेड कांस्टेबल रविंद्र पाल सिंह का था. फिर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, पूछताछ में सिपाही ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है.
वहीं डीसीपी ने बताया कि नामजद सभी आरोपियों के घटना में शामिल होने के साक्ष्य नहीं मिलने पर सभी का नाम मुकदमा से हटाया जाएगा.