यूपी सरकार के बाद अब उत्तराखंड में भी कांवड़ रूट पर दुकानों के सामने बोर्ड लगाने के आदेश दिए गए हैं, जिसमें दुकान के मालिक का नाम, कर्मचारियों का नाम लिखना जरूरी होगा. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ये अच्छा फैसला है. कोई अपनी पहचान क्यों छिपाएगा? इस निर्णय का उद्देश्य पारदर्शिता लाना और किसी विशेष समुदाय या व्यक्ति को टारगेट करना नहीं है.
उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर पुलिस के बाद अब उत्तराखंड की हरिद्वार पुलिस ने आदेश जारी कर कांवड़ रूट में आने वाले फल के दुकानों, खाने पीने के दुकानदारों को नाम लिखने को कहा है. पुलिस के इस आदेश के बाद कई उत्तराखंड के हरिद्वार रूट में आने वाले कई दुकानदारों के चेहरे पर निराशा देखने को मिली.
कांवड़ यात्रा उत्तर प्रदेश होते हुए हरिद्वार तक जाती है और इस रूट में उत्तराखंड के कई इलाके आते हैं. इसे देखते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस के बाद हरिद्वार पुलिस ने दुकानदारों से दुकानों के आगे नाम लिखना अनिवार्य कर दिया. इससे पहले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने खाने पीने का सामान बेचने वाले सभी दुकानों, रेस्टोरेंट, ठेलों के आगे मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने के आदेश को और आगे बढ़ाते हुए पूरे कांवड़ रूट पर लागू कर दिया.
उत्तराखंड बॉर्डर से ठीक पहले मुजफ्फरनगर की व्यस्त सड़क पर काशिफ कन्फेक्शनरी ने एक पोस्टर लगाया है, जिस पर मालिक का नाम फुरकान लिखा है. फुरकान ने कहा कि हम रमजान और ईद मनाते समय कभी नहीं सोचते कि दुकानदार हिंदू है या मुस्लिम. अब हमसे अपनी पहचान बताने के लिए क्यों कहा जा रहा है? उन्होंने कहा कि कारोबार और रोजगार को सांप्रदायिक राजनीति में नहीं घसीटना चाहिए.
आदेश के बाद दुकानदारों में निराशा का माहौल
हरिद्वार से मेरठ की ओर आने वाले हाइवे पर कांवड़ियों की आवाजाही होती है. सड़क के किनारे कई जगहों पर मुस्लिम व्यापारियों ने फलों की दुकानें लगाई हैं, होटल-ढाबा चला रहे हैं या कांवड़ यात्रा से संबंधित सामान बेच रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार और अब हरिद्वार पुलिस के आदेश के बाद दुकानदारों में निराशा का माहौल है. कई लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है, कई दुकानदारों ने तो कही दूसरी जगह का रूख करना भी शुरू कर दिया है.
रिजवान बोले- मैं शुद्ध शाकाहारी भोजन देता हूं, फिर भी दुकान बंद करा रहे
कैराना में शामली-पानीपत रोड पर ढाबा चलाने वाले रिजवान चौधरी ने बताया कि हाल ही में उन्हें कैराना पुलिस स्टेशन से एक कॉल आया जिसमें उन्हें सोमवार से शुरू होने वाली यात्रा को लेकर अपने तिरंगा ढाबे को बंद करने का निर्देश दिया गया. उन्होंने कहा कि लगभग एक महीना ढाबा बंद रहेगा, जिससे मुझे काफी बड़ा नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि मैं केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसता हूं. मैं प्याज और लहसुन का भी उपयोग नहीं करता. मुझे ऐसा क्यों करना है? मैं बोर्ड पर अपना नाम लिखने के लिए तैयार था.
मेरठ में ठेले पर फल बेचने वाले मोहम्मद इमरान ने कहा कि एक बार जब मेरा नाम मेरे ठेले पर लिख दिया जाएगा, तो मेरी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा? कोई भी मेरे साथ दुर्व्यवहार कर सकता है या मुझे लूट सकता है और अगर दंगा भड़क गया तो क्या होगा? मैं तो शिकार बन जाऊंगा.
बिजनौर के श्री खाटू श्याम टूरिस्ट ढाबा के मालिक मोहम्मद इरशाद ने कहा कि विडंबना ये है कि आदेश दोनों समुदायों को नुकसान पहुंचाएगा. मेरा प्रतिष्ठान कांवड़ियों की ओर से अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली सड़क पर है. हम शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसते हैं और मेरे कर्मचारी हिंदू हैं. अगर ग्राहक मेरा नाम देखेंगे, तो ग्राहकों की संख्या कम हो जाएगी और हमारी आस्था चाहे जो भी हो हमें नुकसान उठाना पड़ेगा.
आदेश का तत्काल नतीजा भी दिखा, मुस्लिम कर्मचारी को जबरन छुट्टी पर भेजा
आदेश का तत्काल नतीजा पहले से ही दिखाई दे रहा है. दिल्ली-देहरादून हाईवे पर खतौली के पास साक्षी टूरिस्ट ढाबा में काम करने वाले चार कर्मचारियों में से शफाकत अली को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है. अली ने कहा कि ढाबा के मालिक ने मुझे 6 अगस्त तक छुट्टी पर चले जाने को कहा है. ढाबा के मालिक लोकेश भारती ने कहा कि एक सप्ताह पहले पुलिस ने हमें ढाबे के मालिक और कर्मचारियों के नाम लिखने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि अगर उनके नाम नहीं लिखे गए तो मैं उन्हें अपने ढाबे पर नहीं रख सकता. मैंने फैसला किया कि उन्हें अभी दूर रहना चाहिए.
मुजफ्फरनगर में पिछले सप्ताह जारी प्रशासनिक आदेश में कहा गया था कि खाने-पीने के सामान बेचने वाले सभी दुकानदारों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम बोर्ड पर लिखने होंगे. इस निर्देश ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था. आईजी (सहारनपुर रेंज) अजय साहनी ने इसे तुरंत शामली और सहारनपुर जिलों में लागू कर दिया. शुक्रवार को, यूपी सरकार ने इस आदेश को और आगे बढ़ाते हुए इसे पूरे कांवड़ मार्ग पर लागू कर दिया.
यूपी के मंत्री बोले- इसमें कुछ भी गलत नहीं है
मुजफ्फरनगर शहर के भाजपा विधायक और राज्य के कैबिनेट मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि इस आदेश में कुछ भी गलत नहीं है. कुछ दुकानदार हिंदू नामों का उपयोग करते हैं जबकि उनके मालिक मुस्लिम हैं. हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है. समस्या तब पैदा होती है जब वे मांसाहारी खाना परोसते हैं.
फैसले को लेकर क्या बोले अर्थशास्त्र के प्रोफेसर?
मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉक्टर दिनेश कुमार ने कहा कि ऐसे फैसले लेते समय राजनीतिक नतीजों के अलावा आर्थिक प्रभाव पर भी विचार किया जाना चाहिए. छोटे शहरों में अर्थव्यवस्था सामाजिक ताने-बाने से जुड़ी होती है और संतुलन बहुत जरूरी है. अगर उस ताने-बाने को तार-तार कर दिया जाए तो हर कोई पीड़ित होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो. किसी भी त्यौहार को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता क्योंकि इसमें विभिन्न समुदाय योगदान करते हैं.