Bihar Politics: जनता दल यूनाइटेड की बैठक में नीतीश कुमार ने जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा को बना दिया. इसका ऐलान खुद नीतीश कुमार ने किया है. पार्टी के इस फैसले के बाद अब सियासी गलियों में RCP सिंह, जीतन राम मांझी और पीके यानी प्रशांत किशोर के नाम की चर्चा होने लगी है. कहा जा रहा है कि ये सभी नीतीश कुमार के भरोसे पर खरे नहीं उतके तो क्या अब संजय झा भरोसे को बरकरार रख पाएंगे.
Bihar Politics: दिल्ली में शनिवार JDU के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई है. इसमें जेडीयू के वरिष्ठ नेता संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. इसके साथ ही इस बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज देने की मांग के संबंध में प्रस्ताव पास हुआ है. अब लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार ने RCP सिंह, जीतन राम मांझी और पीके यानी प्रशांत किशोर पर पहले भरोसा जताया था. हालांकि, ये उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. अब क्या संजय झा नीतीश कुमार का भरोसा बरकरार रख पाएंगे?
दिल्ली में आयोजित JDU की इस बैठक का कार्यक्रम पहले से ही तय था. इस कारण पहले ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार पार्टी को नया कार्यकारी अध्यक्ष दे सकते हैं. नामों की चर्चा में भी संजय झा का नाम शामिल था. क्योंकि संजय नीतीश के सबसे करीबी नेताओं में से एक है. आइये जानें इससे पहले नीतीश कुमार ने किन नेताओं पर भरोसा जताया और फिर उन्हें चोट कैसे मिली?
RCP सिंह
प्रशासनिक अधिकारी से सियासी रास्तों का सफर RCP सिंह ने नीतीश कुमार के सहारे शुरू किया था. 2005 में नीतीश कुमार ने उन्हें प्रधान सचिव बनाया. उसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ राजनीति का रुख किया और JDU से जुड़कर महासचिव और राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. हालांकि, ललन सिंह से विवाद होने के बाद वो पार्टी छोड़ BJP में शामिल हो गए. JDU में शामिल होने के बाद से ही विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में उनको अहम भूमिका में रखा गया.
बताया जाता है कि उम्मीदवार ही नहीं मंत्रिमंडल के गठन तक में आरसीपी सिंह की ही चलती थी. इसी कारण उन्हें राज्यसभा सदस्य भी बनाया गया और मोदी सरकार में मंत्री भी बने. हालांकि, ललन सिंह ने इसका विरोध किया था. ललन सिंह के साथ बिगड़े संबंध ने RCP सिंह को हासिये में पहुंचा दिया और फिर नीतीश कुमार से उनकी दूरी बनने लगी. अंत में उन्होंने JDU छोड़ दिया और 11 मई 2023 को BJP में शामिल हो गए.
जीतन राम मांझी
20 मई 2014 को जीतन राम मांझी बिहार के 23वें मुख्यमंत्री बने थे. उस समय नीतीश कुमार ने 2014 के आम चुनाव में खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली और नाटकीय घटनाक्रम में इस्तीफा देने के बाद मांझी के नाम की पेशकश की थी. हालांकि, 10 महीने बाद JDU ने मांझी से इस्तीफा मांगा लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. परिणाम ये हुआ की पार्टी ने उन्हें चलता कर दिया. तेजी से बदलते सियासी घमासान के बीच 20 फरवरी 2015 को मांझी ने अपनी पार्टी बना ली जिसे नाम दिया हिंदुस्तान अवामी मोर्चा.
प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के संबंध नीतीश कुमार से 2025 में डेवलप हुए. उन्होंने JDU के लिए काम किया और पार्टी को अच्छे बहुमत के साथ बिहार की सत्ता में बैठाया. कहा जाता है कि नीतीश-लालू के गठबंधन के पीछे प्रशांत किशोर का ही हाथ था. चुनावों के बाद वो JDU में ही शामिल हो गए. उनका कद ऐसे बढ़ा की वो पार्टी में नंबर दो की पोजीशन पर पहुंच गए. उन्हें नीतीश का उत्तराधिकारी भी बताया जाने लगा. हालांकि, उपाध्यक्ष बनने के बाद से ही कुछ मुद्दों पर उनकी नीतीश कुमार से जमी नहीं. मतभेद के कारण प्रशांत किशोर को पार्टी ने बर्खास्त कर दिया.
अब संजय झा
नीतीश कुमार ने तीन बड़ी चोट के बाद अब संजय झा को मौका दिया है. शनिवार की बैठक में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया है. संजय झा बीजेपी नेतृत्व के साथ अच्छे समीकरण के लिए माने जाते हैं. इस समय वो राज्यसभा सांसद भी हैं. सूत्रों की मानें तो JDU को NDA में वापस लाने के पीछे संजय झा का ही हाथ था. अब इसी कारण उनको ये जिम्मेदारी दी गई है ताकि नीतीश कुमार चुनावों में बिजी रहें तो पार्टी और गठबंधन के मामले संभाल लें.