Champai Soren: चंपई सोरेन के हौसले अभी से पस्त होते दिख रहे हैं. बगावत के मूड में नजर आ रहे चंपई सोरेन के साथ जाने वाले विधायकों को लेकर जो चर्चा हो रही थी अब वह मात्र अफवाह जैसी नजर रही है. जिन विधायकों के बारे में कहा जा रहा था कि वे चंपई के साथ जा रहे हैं, अब वही विधायक इसे खारिज कर रहे हैं और हेमंत सोरेन के प्रति निष्ठा की कसमें खा रहे हैं. ऐसे में अब देखना यह होगा कि चंपई सोरेन आगे क्या करेंगे.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी लिखकर अपना दर्द बयां किया. इसी में उन्होंने यह भी बता दिया कि अब वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के साथ नहीं रहेंगे. उन्होंने तीन विकल्प बताए कि या तो राजनीति से संन्यास लें या किसी अपनी पार्टी बनाएं या फिर किसी दूसरे दल में जाएं. चर्चाएं थीं कि वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में जा सकते हैं और अपने साथ कुछ विधायकों को भी ले जा सकते हैं. हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि उनके करीबी साथियों ने ही उन्हें धोखा दे दिया है. जिन विधायकों के नाम को लेकर चर्चाएं थीं कि वे चंपई सोरेन के साथ हैं, वे अब हेमंत सोरेन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से मशहूर चंपई सोरेन अब क्या करेंगे?
कहा जा रहा था कि घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन, पोटका के विधायक संजीव सरदार, जुगसलाई के विधायक मंगल कालिंदी, बहरागोड़ा के विधायक समीर कुमार मोहंती और खरसावां के विधायक दशरथ गगराई चंपई सोरेन के साथ जा सकते हैं. हालांकि, इनमें से कई विधायकों ने हेमंत सोरेन के पास पहुंचकर उनके प्रति निष्ठा रखने की शपथ ली. ये विधायक अब सार्वजनिक तौर पर कह भी रहे हैं कि वह ‘गुरुजी’ (शिबू सोरेन) से गद्दारी नहीं करेंगे.
लौट आए विधायक
कहा जा रहा है कि रामदास सोरेन, संजीव सरदार, मंगल कालिंदी और समीर मोहंती ने मंगलवार को रांची में सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की. उन्होंने हेमंत सोरेन के प्रति निष्ठा रखने की शपथ ली. रामदास सोरेन ने कहा, ‘शिबू सोरेन हमारे गुरु हैं और जेएमएम मेरा घर है. मैं कहीं नहीं जा रहा हूं. अगर चंपई दा पार्टी में हैं तो हम उनके साथ रहेंगे.’ उन्होंने यह भी कहा कि चंपई सोरेन ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है.
विधायक समीर मोहंती का भी कहना है कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं और जेएमएम में ही रहेंगे. मंगल कालिंदी ने कहा है कि वह क्षेत्र में हैं और दशरथ गागराई का कहना है कि वह आधी रोटी खा लेंगे लेकिन गुरुजी के मान-सम्मान को कम नहीं होने देंगे. वहीं, चंपई सोरेन भी अब रांची लौट आए हैं और उन्होंने कहा है कि दिल्ली में उन्होंने बीजेपी के किसी नेता से मुलाकात नहीं की है. उधर, अब सबकी निगाहें चंपई पर ही टिकी हुई हैं कि वह अकेले होकर आगे क्या कदम उठाए हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इसी साल जनवरी के महीने में जब हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी गैरमौजूदगी में चंपई सोरेन को सीएम बनाया गया. जुलाई में जैसे ही हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए तो चंपई सोरेन से इस्तीफा ले लिया और फिर से खुद सीएम बन गए. कहा जा रहा है कि इसी को लेकर चंपई सोरेन इतने नाराज हो गए कि बगावत पर उतर आए. दूसरी तरफ, बीजेपी के कुछ नेता बाहें खोलकर चंपई सोरेन का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस पर कुछ नहीं कहा है.