जानें क्या है सोनोबॉय जिसे देने को तैयार है अमेरिका? क्यों परेशान है चीन और पाक?

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Anti-Submarine Warfare Sonobuoys : अमेरिका ने एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय को भारत को बेचने की मंजूरी दे दी है. इसकी मदद से भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमताओं में विस्तार होगा और समय रहते दुश्मन देशों की पनडुब्बी को पकड़ा जा सकेगा. यह सौदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिकी यात्रा के दौरान हुआ है।

Anti-Submarine Warfare Sonobuoys : अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 52.8 मिलियन डॉलर की लागत वाली एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय और उससे संबंधित उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दे दी है. रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी  (DSCA) ने वाशिंगटन में इसकी घोषणा की है. 

यह घोषणा तब की गई जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए पेंटागन में बातचीत की. दोनों नेताओं के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा, भारत प्रशांत क्षेत्र  और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला गया. इस दौरान सबसे ज्यादा ध्यान एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय के सौदे ने खींचाय अब इसके बारे में जान लेते हैं जिससे पाकिस्तान और चीन परेशान हो गए हैं. 

क्या है सोनोबॉय की खासियत?

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, इस पनडुब्बी के सशस्त्र बलों में शामिल होने पर भारत की युद्धक क्षमताओं में सुधार होगा. भारत को इसे अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने के लिए किसी तरह की कोई परेशानी भी नहीं होगी. एकॉस्टिक सेंसर वाले सोनोबॉय से लैस होने के बाद भारतीय नेवी समुद्र के भीतर दुश्मन देशों की सबमरीन की बेहद धीमी आवाजों को भी सुनने में सक्षम हो जाएगी. इससे युद्ध के समय दुश्मन देश की सबमरीन को खत्म करने में आसानी होगी. 

क्या है सोनोबॉय?

सबमरीन की सबसे बड़ी ताकत छिपकर हमला करना है. इन्हें लंबे समय तक घात लगाने और बिना नजर में आए इसे हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है. दुश्मन देशों की पनडुब्बी का पता लग जाए तो उसे खत्म करने में आसानी होती है. वहीं, दूसरी ओर युद्धपोत की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि सबमरीन का पता लगाया जाए. सोनोबॉय इसी काम के लिए बना है.  सोनोबॉय एक पोर्टेबल सोनार सिस्टम है. इसे सबमरीन का पता लगाने के लिए विमान, हेलीकॉप्टर, या युद्धपोत से सागर में डाला जाता है. 

क्यों परेशान है चीन और पाक?

हिंद महासागर में चीन का दबदबा बढ़ा है. दूसरी तरफ पाक नौसेना की भी चुनौती बढ़ी है. दोनों देशों युद्धपोतों का पता लगाने के लिए भारतीय नेवी अपने रडार, पी8आई विमान और सी गार्डियन ड्रोन से लगाती है. पानी के अंदर छिपी सबमरीन खासी चुनौतियां पेश करती हैं. पनडुब्बी के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई में उसे वक्त पर खोजना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. इसी के लिए भारतीय नेवी ने MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं. नेवी इनके जरिए पता लगाती है कि कहीं कोई पनडुब्बी छिपी तो नहीं है. सोनोबॉय मिलने से चीन और पाक की सबमरीन तलाश करने में भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ेगी.

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