Wednesday, May 21, 2025
Homeराज्यदिल्लीबच्चे की गुमशुदगी की सूचना मिलते ही शुरू करें जांच, न करें...

बच्चे की गुमशुदगी की सूचना मिलते ही शुरू करें जांच, न करें 24 घंटे का इंतजार: दिल्ली हाईकोर्ट

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि किसी बच्चे की गुमशुदगी की सूचना मिलते ही जांच शुरू हो और इसमें 24 घंटे का इंतजार न किया जाए। उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चों के लापता होने के बाद 24 घंटे तक इंतजार करने का कारण इस अनुमान या धारणा पर आधारित प्रतीत होता है कि वे आमतौर पर दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ कहीं चले जाते हैं और बाद में अपने घर लौट आते हैं। कोर्ट ने कहा कि 24 घंटे की देरी के कारण बच्चे को अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर ले जाया जा सकता है या कोई अप्रिय घटना घट सकती है।

उसने कहा कि महिला एवं विकास मंत्रालय ने “गुमशुदा बच्चों के मामलों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया’ तैयार की है जो कहती है कि बच्चे के गुमशुदा होने की शिकायत मिलते ही तस्करी या अपहरण की प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि एसओपी में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कार्रवाई तुरंत और तत्परता से की जानी चाहिए तथा इस अटकलबाजी की गुंजाइश नहीं है कि बच्चा 24 घंटे में घर वापस आ सकता है और इसलिए पुलिस इंतजार कर सकती है।

पीठ ने कहा, “वास्तव में, पहले 24 घंटे की अवधि अहम या नाजुक अवधि होती है, जब लापता व्यक्ति या बच्चे का पता लगाने के लिए उठाए गए कदमों से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।” उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को मामले की जांच करने तथा सभी थानों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने को कहा कि 24 घंटे की प्रतीक्षा अवधि पूरी तरह अनावश्यक है तथा जब भी कोई शिकायत प्राप्त हो, तो जांच तुरंत शुरू होनी चाहिए।

पीठ ने कहा, “एसओपी और इसमें की गई टिप्पणियों के मद्देनजर सभी थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लापता बच्चों के मामले में पूछताछ/जांच शुरू करने के लिए 24 घंटे की प्रतीक्षा अवधि नहीं होगी।” उच्च न्यायालय एक नाबालिग लड़की के पिता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें 19 फरवरी को लापता हुई बच्ची का पता लगाने का अनुरोध किया गया था। व्यक्ति ने उसी दिन पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन उनसे कहा गया कि अगर लड़की नहीं मिलती है तो वह अगले दिन फिर आएं। याचिका में कहा गया है कि जब लड़की नहीं लौटी तो उसके पिता 20 फरवरी को फिर पुलिस के पास गए और अपहरण की प्राथमिकी के बजाय ‘गुमशुदगी की रिपोर्ट’ दर्ज कर ली गई।

दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (अपराध) संजय लाओ ने अदालत को “लापता व्यक्तियों और अज्ञात शवों के संबंध में पुलिस के कर्तव्यों” पर पुलिस के संशोधित स्थायी आदेश के बारे में सूचित किया। उन्होंने कहा कि स्थायी आदेश के अनुसार, जहां तक गुमशुदा व्यक्तियों, विशेषकर बच्चों और नाबालिग लड़कियों (चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो) की बात है, तो शिकायतकर्ता द्वारा संदेह व्यक्त किए जाने पर या अन्यथा शक पैदा होने पर अनिवार्य रूप से एक मामला दर्ज किया जाएगा। लाओ ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले को मानव तस्करी रोधी इकाई (अपराध शाखा) को स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_imgspot_imgspot_img

Most Popular

Recent Comments