Namaz Break Row: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा हाल के दिनों में लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जिसके खिलाफ उनके अपने ही साथी उतर आए हैं. केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सहयोगी दलों ने उनके एक फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं. लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल यूनाइटेड, दोनों सहयोगी दलों ने, शुक्रवार के दिन दो घंटे के नमाज ब्रेक पर लगी रोक को लेकर सवाल उठाए हैं. क्या है ये पूरा मामला, आइए समझते हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक ऐसा फैसला ले लिया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सहयोगी दल, उनसे नाराज हो गए हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (JDU) और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने सीएम हिमंत के इस फैसले पर नाराजगी जताई है. सीएम हिमंत ने शुक्रवार के दिन मुस्लिम विधायकों को नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को मिलने वाला 2 घंटे का अवकाश रद्द कर दिया गया है. राज्य विधानसभा का यह फैसला, लोगों को रास नहीं आया है. उनके फैसले की सबने कड़ी आलोचना की है.
सीएम हिमंत सरमा ने इस फैसले को सही बताया है. उन्होंने खुद कहा है कि यह हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच आम सहमति से लिया गया है. वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों को इस फैसले पर आपत्ति है. उनका कहना है कि यह संवैधानिक लिहाज से सही नहीं है, यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ लिया गया फैसला है. सीएम हिमंत के फैसले पर एनडीए के सहयोगी दलों में ही अनबन जैसी खबरें सामने आ रही हैं.
JDU नेता नीरज कुमार ने राज्य विधानसभा के इस फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सीएम हिमंत बिस्व सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए था, न कि ऐसे फैसले लेने चाहिए थे. उन्होंने कहा, ‘असम के मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया निर्णय देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है.’
JDU ने क्या कहा है?
नीरज कुमार ने कहा, ‘हर किसी को अपने धार्मिक विश्वास और परंपराओं को संरक्षित करने का अधिकार है. मैं सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं कि आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा करते हैं कि इससे कार्य क्षमता बढ़ेगी. हिंदू परंपरा में मां कामाख्या की पूजा होती है. क्या आप वहां बलि की प्रथा पर प्रतिबंध लगा सकते हैं?’
‘धार्मिक भावनाओं को न पहुंचाएं ठेस’
JDU नेता के सी त्यागी ने कहा, ‘संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और पूजा की स्वतंत्रता का प्रावधान है. किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे.’
LJP ने क्या कहा?
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) दिल्ली के अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा, ‘धार्मिक प्रथाओं की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए.’
सहयोगी दे रहे हैं टेंशन?
केंद्र पर नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में विपक्ष से ज्यादा सहयोगी दल, दबाव बनाते नजर आ रहे हैं. यूपीएससी में लैटरल एंट्री को लेकर भी इन्हीं दलों ने ऐतराज जताया था, जिसके बाद केंद्र को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था. सहयोगी दलों की खींचतान में सरकार पर फैसले लेने का दबाव बढ़ा है, ऐसा दबी जुबान में राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं.
फैसले पर क्या बोले सीएम हिमंत बिस्व सरमा?
हिमंत बिस्व सरमा ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘हमारी विधानसभा के हिंदू और मुसलमान विधायकों ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है. विधायकों का मानना है कि 2 घंटे का ब्रेक ठीक नहीं है. हमें इस अवधि के दौरान काम करना चाहिए. यह प्रथा1937 में शुरू हुई थी और कल से बंद कर दी गई है.’