संवाददाता:- सुशील चौरसिया

वाराणसी/संसद वाणी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल में ड्यूटी के दौरान ही नर्सिंग स्टॉफ की मौत होने से इमरजेंसी के पास नर्सिंग स्टाफ एकजुट होकर हंगामा करने लगे. इस दौरान नर्सिंग स्टाफों ने सेक्शन ऑफिसर पर आरोप लगाया. साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर दुर्व्यवस्था का भी आरोप लगाया. आरोप लगाया कि ड्यूटी के अलावा उन्हें उच्चाधिकारियों द्वारा लगातार दबाया जाता है, उन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.

नर्सिंग ऑफिसर बाबू लाल यादव ने मीडिया से बातचीत में अस्पताल के दुर्व्यवस्था की पोल खोल दी. बताया कि एक महीने में यह दूसरी मौत है. ऑन ड्यूटी खेमचंद्र सैनी (29) ने दम तोड़ दिया. इसके पहले भी एक स्टाफ की जान जा चुकी है. यह सब ओवर प्रेसर और स्ट्रेस की वजह से है. अस्पताल के अंदर लगातार दबाया जा रहा है, हम किसी से शिकायत करेंगे तो मेमो मिल जायेगा. ऑफिस में बुलाकर प्रताड़ित किया जाएगा. आरोप लगाया कि मृतक साथी का डेढ़ साल का बच्चा है. मांग किया कि उसकी पत्नी को अस्पताल में नौकरी दी जाए और बच्चे की शिक्षा निःशुल्क की जाए.

इंक्रीमेंट रोकने की मिलती है धमकी

अन्य नर्सिंग ऑफिसर ने बताया कि सर सुंदरलाल अस्पताल में स्वास्थ्य मंत्रालय के गाइडलाइन का पालन नहीं होता. एक स्टॉफ से 17 से लेकर 20 बेड का जिम्मा दे दिया जाता है. हम मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते, यदि उच्चाधिकारी को कुछ बताना है तो हम नहीं बता सकते. यदि हमने कोई शिकायत की तो इंक्रीमेंट रोकने की धमकी दी जाती है. बताया कि कई साथियों का इंक्रीमेंट रोक दिया गया, कोर्ट जाने के बाद आदेश हुआ फिर इंक्रीमेंट दिया गया है. यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल के भीतर प्रॉपर बाथरूम करने की जगह तक नहीं है. हम लोग हर रोज ड्यूटी के तनाव के अलावा उच्चाधिकारियों का तनाव झेल रहे है.

पूरे सप्ताह करते है ड्यूटी

आक्रोशित नर्सिंग ऑफिसरों का कहना है कि हमसे पूरे-पूरे सप्ताह ड्यूटी ली जाती है. सप्ताह में एक दिन भी छुट्टी नहीं मिलती जिससे हम परिवार को समय दे सकें. अपना व्यक्तिगत काम कर सकें. इसके साथ ही गंभीर आरोप लगाया कि नियम के मुताबिक ज्वाइनिंग के छह माह के बाद नियमित स्टाफ होने का प्रमाणपत्र मिलना चाहिए लेकिन चार-चार साल बीतने के बाबजूद भी आज तक नर्सिंग स्टॉफ को नियमित स्टाफ होने का प्रमाण तक नहीं मिल सका है.
मांग किया कि अस्पताल के अंदर मंत्रालय के गाइडलाइन का पालन कर नर्सिंग स्टाफ को निर्धारित बेड का जिम्मा दिया जाए. उच्चाधिकारी अपने तुगलकी फरमान से हमें प्रताड़ित न करें, हमें तनावमुक्त रखकर ड्यूटी ली जाए. मृतक के परिवार को नौकरी और बच्चे को निःशुल्क शिक्षा प्रदान हो.

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