नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद सहित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. दावा किया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी 8 जून को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. दिल्ली में एनडीए सहयोगी दलों की अहम बैठक हो रही है. बैठक में शामिल होने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दिल्ली पहुंचे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात के अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अपने मंत्रिपरिषद के साथ उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा है. राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है वे अपने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के साथ नई सरकार के गठन तक, अपने पद पर बने रहें. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के पास पूर्ण बहुमत है. एनडीए के खाते में कुल 292 सीटे हैं.
एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है इसलिए बीजेपी जल्द ही सरकार बनाने दावा पेश कर सकती है. नई सरकार के गठन से पहले यह एक औपचारिकता होती है, जिसे करना अनिवार्य होता है. भारतीय जनता पार्टी के जीते हुए सासंदों की बैठक होने वाली है. बैठक में ही संसद का नेता चुना जाएगा. दावा किया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी 8 जून को शपथ ले सकते हैं.
नई सरकार का शपथ ग्रहण 8 जून को हो सकता है. भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों से मंत्रिमंडल और सरकार गठन को लेकर बैठकों का दौर जारी है. एनडीए शाम 4 बजे आज एक अहम बैठक करने वाला है. इस बैठक में बीजेपी का संसदीय दल चर्चा करेगा. इसमें सरकार के गठन को लेकर मंथन किया जाएगा. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू और जेडीयू चीफ नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच गए हैं. बीजेपी के पास केवल 240 सीटें हैं, दोनों सहयोगियों के बिना सरकार का गठन होना मुश्किल है.
एनडीए के पास पूर्ण बहुमत फिर भी क्यों देना पड़ा इस्तीफा?
एनडीए के पास कुल 292 सीटे हैं, जो बहुमत के आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं. सरकार बनाने के लिए सिर्फ 272 सीटें चाहिए. ऐसे में जब सरकार के पास पर्याप्त समर्थन है तो फिर नरेंद्र मोदी ने इस्तीफा क्यों दिया है, ये वजह आइए समझ लेते हैं. संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक एक सरकार, सिर्फ 5 साल के लिए चुनी जाती है. जब चुनाव संपन्न हो जाते हैं और नतीजे आ जाते हैं तो नई सरकार के गठन के लिए सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री और उसके मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है, भले ही उसी दल के पास बहुमत क्यों न हो.
संविधान में प्रधानमंत्री के कार्यकाल को लेकर कोई प्रावधान नहीं होता है. कार्यकाल, सरकार का होता है. जब तक, सत्तारूढ़ गठबंधन या पार्टी का कार्यकाल रहता है और उसके सदस्य प्रधानमंत्री को दल का नेता चुनते हैं, तभी तक वह प्रधानमंत्री रह सकता है. मौजूदा सरकार का कार्यकाल 2019 से लेकर 2024 तक था. सरकार का कार्यकाल पूरा हुआ तो नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देना पड़ा. अब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं, अगर सब ठीक रहा तो नरेंद्र मोदी 8 जून को शपथ ले सकते हैं.