25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने के फैसले से नाराज़ हुआ विपक्ष, कहा -“सुर्खियां बटोरने की कवायद “

Constitution Murder Day: केंद्र सरकार द्वारा 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के तौर पर मनाने के फैसले पर शुक्रवार को राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह दिवस लोगों को कांग्रेस की ‘तानाशाही मानसिकता’ की याद दिलाएगा। वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आपातकाल को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का केंद्र सरकार का कदम सुर्खियां बटोरने की कवायद भर है। भाजपा की सहयोगी जद-यू (जनता दल-यूनाइटेड) ने सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया और कांग्रेस पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि यह उन लोगों के लिए बुरी खबर है, जिनमें “अलोकतांत्रिक प्रवृत्ति” है। 

वहीं, विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक और कांग्रेस के सहयोगी राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना की। राजद ने कहा कि इस तरह के कदमों से भाजपा लोकसभा चुनावों में मिले “झटके” से उबरने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने कहा कि हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाना लोगों को कांग्रेस की ‘तानाशाहीपूर्ण मानसिकता’ के खिलाफ लड़ने वालों के बलिदान और शहादत की याद दिलाएगा। 

भाजपा की यह प्रतिक्रिया केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने के सरकार के फैसले की घोषणा करने के बाद आई है। देश में 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी। इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए रक्षा मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल के कारण जो परिस्थितियां पैदा हुईं और जिस तरह का दमन चक्र चलाया गया, वह आज भी देश की जनता की स्मृति में ताजा है।” 

उन्होंने कहा कि केंद्र ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में घोषित किया है, ताकि भारत में आपातकाल लगाकर संविधान का गला घोंटने की कोशिश याद दिलाई जा सके और इसके खिलाफ लड़ने वाले और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने वाले आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी जा सके। भाजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि 25 जून 1975 वह काला दिन था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ‘तानाशाही मानसिकता’ ने संविधान में निहित लोकतंत्र की ‘हत्या’ करके देश पर आपातकाल थोप दिया था। 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर पोस्ट किया, “आपातकाल की कठिनाइयों को सहने वालों को याद करने और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए लड़ने वालों को सम्मानित करने के लिए मैं हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने के भारत सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं।” 

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (आरवी) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा, “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही नीति ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया, आपातकाल लगाया और लाखों लोगों को जबरन जेल में डाल दिया, इस तरह लोकतंत्र की हत्या कर दी। मोदी सरकार ने हर साल 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” ​​के रूप में लोगों को जागरूक करने का फैसला किया है। 

इंडिया ब्लॉक ने एनडीए पर पलटवार किया 

कांग्रेस ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र का यह कदम सुर्खियां बटोरने की कवायद भर है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘हेडलाइन मैनेज’ (सुर्खियों को प्रबंधित) करना पड़ रहा है क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति गत जून महीने में बढ़कर 9.55 प्रतिशत हो गई है। 

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चार जून, 2024 का दिन इतिहास में ‘मोदीमुक्ति दिवस’ के रूप में दर्ज होगा तथा देश की जनता आठ नवंबर के दिन को ‘आजीविका हत्या दिवस’ के रूप में मनाएगी क्योंकि वर्ष 2016 में इसी दिन नोटबंदी की घोषणा की गई थी। 

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री द्वारा पाखंड के जरिये सुर्खियां बटोरने की एक और कवायद की गई है, जबकि उन्होंने भारत के लोगों द्वारा चार जून, 2024 को उनकी व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार सुनिश्चित किए जाने से पहले 10 वर्षों तक अघोषित आपातकाल लगाया था।” 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट शेयर करते हुए कहा, “पिछले 10 सालों में आपकी सरकार ने हर दिन “संविधान हत्या दिवस” ​​मनाया है। आपने हर पल देश के हर गरीब और वंचित वर्ग का स्वाभिमान छीना है।” 

आम आदमी पार्टी की नेता प्रियंका कक्कड़ ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने 2014 से हर दिन संविधान की ‘हत्या’ की है। उन्होंने कहा ,”हाल ही में चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान अनिल मस्सी ने कैमरे के सामने संविधान की हत्या की और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं हो रहे थे। दिल्ली में 9 साल की लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली सरकार को इसके तहत सेवाएं मिलीं, लेकिन भाजपा ने एक कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नकार दिया। यह संविधान की हत्या है,”। 

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