वाराणसी/संसद वाणी : काशी के ऐतिहासिक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के नवीनीकरण और विकास के साथ जुड़ा “श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद” का विशेष आयोजन आज अपनी तृतीय वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम ने न केवल धार्मिक महत्व को उजागर किया, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर की सुंदरता को भी दर्शाया।
स्मरणीय है कि शिव आराधना में “तीन” का विशेष महत्व है। महादेव के त्रिदेव स्वरूप के माध्यम से सम्पूर्ण शैव प्रतीकों में तीन के महत्व को देखा जा सकता है। त्रिशूल, त्रिपुंड, बिल्व–त्रिपत्र और त्रि–शिखर जैसे शैव प्रतीक भगवान शिव की त्रिविध सिद्धियों का संकेत करते हैं। शैवागम के अनुसार परमशिव स्वयं को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिदेव स्वरूप में व्यक्त करते हैं, और समस्त सृष्टि के पालनकर्ता और त्रिविध मुक्ति के दाता माने जाते हैं। यही कारण है कि इस तृतीय वर्षगांठ का महत्व अत्यधिक विशिष्ट है।
कार्यक्रम का आरंभ
आज सायंकाल काशी विश्वनाथ धाम स्थित शंकराचार्य चौक (सांस्कृतिक मंच) पर विशेष सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसमें मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्व भूषण, स्वामी जितेंद्रानन्द जी, मंदिर न्यास के सम्मानित सदस्य पं. दीपक मालवीय, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, और मंदिर के अर्चक पं. श्रीकांत मिश्र ने भाग लिया। दीप प्रज्ज्वलन के बाद कार्यक्रम की शुभ शुरुआत हुई।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
सांस्कृतिक संध्या में विभिन्न कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में चार चाँद लगाए।
प्रथम प्रस्तुति:
बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक श्री अभिजीत घोषाल ने संगीत प्रेमियों के दिलों को छूने वाले गायन का प्रदर्शन किया।
दूसरी प्रस्तुति:
पं. देवब्रत मिश्रा ने सितार वादन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
तृतीय प्रस्तुति:
प्रसिद्ध गायक श्री नीरज सिंह ने अपनी मधुर आवाज से संगीतमय वातावरण तैयार किया।
यह कार्यक्रम श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के समर्पण और काशी के सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस आयोजन से यह भी संदेश मिलता है कि काशी के विकास और शांति के प्रतीक श्री काशी विश्वनाथ धाम का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।