वाराणसी/संसद वाणी : काशी में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिवसीय बैठक के दूसरे दिन संत समाज ने धर्मांतरण को रोकने और सामाजिक समरसता के लिए देशभर में व्यापक जन जागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया। इस अभियान के अंतर्गत संत गांव-गांव जाकर हिंदू समाज को मत, पंथ, संप्रदाय में विभाजित होने से रोकने के लिए जागरूक करेंगे। बैठक में तय हुआ कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ से पहले हिंदी भाषी क्षेत्रों—उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड—से पधारे पूज्य संत व्यापक जनजागरण अभियान के तहत हिंदू समाज को एकजुट करेंगे। इस बैठक का आयोजन कैवलज्ञान मंदिर, सिगरा, वाराणसी में किया गया, जिसमें देशभर से आए संतों ने भाग लिया। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संरक्षक दिनेश जी ने बैठक में पूज्य संतों से धर्मांतरण रोकने, मत-पंथ संप्रदाय के बीच भेदभाव समाप्त करने और सामाजिक समरसता की दिशा में संतों के मार्गदर्शन की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के भीतर एकता बनाए रखने के लिए संतों का नेतृत्व आवश्यक है। बैठक में जगद्गुरु सुमेर पीठाधीश्वर शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हिंदू समाज में संस्कारों की कमी के कारण परिवार टूट रहे हैं। उन्होंने छुआछूत को धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से पाप बताया और कहा कि स्वतंत्र भारत में सभी हिंदू एक हैं। उन्होंने बाबा विश्वनाथ को समरसता का प्रतीक मानते हुए कहा कि उनकी श्रद्धा देश और दुनिया के सभी श्रद्धालुओं में है। शंकराचार्य जी ने आगे कहा कि हमें भाषा, प्रांत, जाति, मत, पंथ और संप्रदाय के आधार पर बांटने की साजिशों के खिलाफ जागरूक होना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू समाज में धर्मांतरण के जरिए उसे कमजोर करने के प्रयास हो रहे हैं, और संत समाज अब तय कर चुका है कि गांव-गांव में गोष्ठियां और सत्संग आयोजित कर हिंदू समाज को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रयास एक रचनात्मक क्रांति को जन्म देगा। बैठक की अध्यक्षता कर रहे अखिलेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि भारतीय जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना और सामाजिक परंपराओं के निर्वहन में हमारे संस्कार महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद कथित सेक्युलरवाद के नाम पर हिंदू समाज की आस्था, संस्कृति और परंपराओं के साथ खिलवाड़ किए जाने की बात कही। उन्होंने बताया कि आज जनसंख्या असंतुलन राष्ट्रीय हितों और हिंदू समाज की मान्यताओं को कमजोर कर रहा है, और इस पर कानून बनाने की आवश्यकता है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 24 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की अगली बैठक होगी। इसके साथ ही 25-26 जनवरी को संत सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश और दुनिया के सभी हिंदू परंपराओं को मानने वाले पूज्य संतों को आमंत्रित किया जाएगा। 25 जनवरी को साध्वी सम्मेलन और 26 जनवरी को निवासित संत सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जबकि 27 जनवरी को युवा संत सम्मेलन होगा।

इन सम्मेलनों में संत समाज हिंदू समाज की चुनौतियों पर विचार करेगा और समाधान के लिए अपने मार्गदर्शन देगा। बैठक के अंत में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री संगठन मिलिंद परांडे जी ने मार्गदर्शक मंडल की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के हिंदुओं को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण के जरिए हिंदू समाज को विभाजित करने का षड्यंत्र चल रहा है, जिसे संतों के मार्गदर्शन में रोका जा सकता है। परांडे जी ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के हिंदू अपनी धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता और संस्कारों की रक्षा के लिए संत समाज के नेतृत्व में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन समाज के बीच किया जाना चाहिए। बैठक का संचालन अखिल भारतीय संत संपर्क प्रमुख और विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक तिवारी ने किया। बैठक में प्रमुख रूप से भानु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ जी, केंद्रीय मंत्री हरिशंकर जी, क्षेत्र संगठन मंत्री गजेंद्र जी, प्रांत संगठन मंत्री नितिन जी, क्षेत्र धर्माचार्य संपर्क प्रमुख जितेंद्र जी, श्यामसुंदर दास जी, भारत भूषण जी, महंत राम हृदय, क्षेत्र सत्संग प्रमुख दिवाकर नाथ त्रिपाठी, प्रांत सहमंत्री सत्य प्रकाश सिंह, प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख आद्या शंकर, विभाग मंत्री कन्हैया सिंह, महानगर संगठन मंत्री विनोद, राजेश मिश्रा, आनंद सन, रंगनाथाचार्य हरि नारायण सहित 150 से अधिक पूज्य संत और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी बैठक में शामिल रहे।