‘राहुल गांधी की राजनीति में बदलाव…’, अपनी हार को लेकर बोलने लगीं स्मृति ईरानी?

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Smriti Irani Interview: एक यूट्यूबर को दिए गए इंटरव्यू में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के बारे में कुछ ऐसी बातें कही हैं जिसे सुनकर सब हैरान हैं. इससे पहले, स्मृति ईरानी खुलकर राहुल गांधी की आलोचना करती थीं और तीखे हमले बोलती थीं. पहली बार उन्होंने यह कहा है कि राहुल गांधी अब अलग राजनीति कर रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अक्सर राहुल गांधी पर हमलावर नजर आती हैं. लोकसभा चुनाव में हार के बाद स्मृति ईरानी पहली बार राहुल गांधी पर नए नजरिए से बोलती नजर आई हैं. उन्होंने राहुल गांधी की राजनीति पर बात करते हुए कहा कि आप भले ही कुछ भी सोचें लेकिन अब राहुल गांधी अलग बात कर रहे हैं. राहुल गांधी के बयानों को लेकर स्मृति ईरानी ने कहा कि अब उन्होंने रणनीति बदली है. स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपनी हार को लेकर भी खुलकर बोला और कहा कि वह इससे निराश नहीं हैं.

एक यूट्यूबर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने साल 2014 में अमेठी में चुनाव लड़ने के बारे में कहा, ‘जब मैं अमेठी गई तो सबसे पहला फोन मनोहर पर्रिकर का आया. वह मेरे लिए अमेठी आए. तब उनके साथ जो आए थे आज वह गोवा के सीएम हैं. यह है हमारे संगठन की ताकत.’ पीएम मोदी के बारे में बात करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्र सेवक बनना चुना है. राहुल गांधी के मिस इंडिया वाले बयान वाले बयान पर स्मृति ईरानी ने कहा कि वह भी जानते हैं कि सच्चाई क्या है लेकिन इससे हेडिंग बनती है.

‘राहुल गांधी की राजनीति में बदलाव आया है’

राहुल गांधी के बारे में जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि राहुल गांधी की राजनीति में एक बदलाव आया है. उन्हें लगता है कि उन्होंने सफलता का स्वाद चख लिया है. उनकी इतनी साल की राजनीति में वह पहली बार इंस्ट्रूमेंटल होकर बोल रहे हैं. संसद में टीशर्ट पहनते हैं. वह जानते हैं कि वह उस व्हाइट टीशर्ट का युवा पीढ़ी में क्या संदेश देना चाह रहे हैं. हम इस गलतफहमी में न रहें, भले ही हमें वह कमद अच्छा या बुरा लगे, भले ही वह बचकाना लगे लेकिन वह अब अलग राजनीति कर रहे हैं.’

स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के मंदिर-मंदिर जाने के बारे में स्मृति ईरानी ने कहा, ‘जब वह मंदिर-मंदिर जा रहे थे तब क्या उन्हें ट्रैक्शन मिल रहा था? नहीं मिल रहा था. जनता को लग रहा था कि यह छलावा है. इससे उनके रणनीतिकारों को लगा कि अगर हमें भगवान के सामने नतमस्तक होने से कुछ नहीं मिल रहा है तो किस आधार पर मिल सकता है. फिर उन्होंने सोचा कि जाति के आधार पर मिल सकता है. यह उनकी राजनीतिक सोच होती तो पहले से दिखती.’

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