वाराणसी/संसद वाणी : गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री शक्तिपीठ, फूलपुर में तीन दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव का शुभारंभ कलश शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ। सर्वप्रथम सुबह 8बजे श्री राजेश शास्त्री जी ने 51 कलशों को जल पूरित कराकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलशों को व्रह्माण्ड का स्वरूप प्रदान किया तदोपरान्त क्षेत्र की महिलाओं ने इसे सर पर धारण किया। कार्यक्रम संयोजक पण्डित गंगाधर उपाध्याय ने नारियल फोड़कर एवं हरि झंडी दिखाकर कलश यात्रा का शुभारम्भ किया। जनजागरण कलश यात्रा गायत्री शक्तिपीठ, फूलपुर से बैंड बाज के निकल कर फूलपुर बाजार, दीहबाबा होते हुए गुरूपूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम स्थल गायत्री शक्तिपीठ, फूलपुर पहुंचा जहां कलश की भव्य आरती उतारी गई।
सायं कालीन सत्र में संगीतमय प्रवचन का कार्यक्रम शुरू हुआ। कथा वाचक अर्चना मिश्रा ने युग ऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवन एवं कार्यों को बताते हुए कहा कि परमपूज्य गुरुदेव ने गायत्री एवं यज्ञ से जन जन को जोड़ा, गुरुकुल शान्तिकुंज का निर्माण किया जहां साधना कर मनुष्य महामानव बनते हैं।कथा श्रोताओं को सद्गुरु के महत्व को बताते हुए कहा कि जीवन में सद्गुरु क्यों आवश्यक हैं। माता पिता जन्म देते हैं पालन करते हैं किन्तु सद्गुरु सामाजिक परिस्थियों के अनुकूल शिष्य के जीवन को ढाल कर समाज के उत्थान करने हेतू प्रेरित करते हैं। मनुष्य के जीवन के दुर्गुणों को दूर कर सद्गुण का निर्माण करते हैं।
गुरुपूर्णिमा समर्पण, विसर्जन एवं विलय का महापर्व है। शिष्य को स्वयं को गुरु को समर्पित कर देने मात्र से ही उसके अंदर के समस्त दुष्प्रवृतियां का शमन हो जाता है और गुरु का अंग अवयक हो जाता है। युग गायक श्री नरेंद्र मिश्रा ने आर्गन पर धुन बिखरते हुए चिर परिचित आवाज में भक्ति संगीत से उपस्थित श्रोताओं को गुरु भक्ति से सराबोर किया। युग वादक श्री सक्षम मिश्रा ने तबले पर संगत किया। कार्यक्रम का संयोजन पण्डित गंगाधर उपाध्याय ने किया तथा संचालन श्री राजेश मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रुप से श्री भानु सेठ, मनोज गुप्ता, महेश सिंह, जगनारायण सिंह, गणेश सिंह, राजकुमार, इंद्रासन सिंह, मोती सेठ, राजू जी, श्रीमती प्रज्ञा अग्रहरी, सुनीता चौरसिया, रेखा जायसवाल, अनीता अग्रहरी, सपना चौरसिया, शकुन्तला गुप्ता, रेनू सेठ, रेनू जायसवाल, सीमा जायसवाल एवं दीपमाला अग्रहरी सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।