PM Modi Russia Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 साल बाद रूस की यात्रा पर जा रहे हैं. वह 8 और 9 जुलाई को रूस में रहेंगे. भारत के लिए इस यात्रा के बहुत ही अहम मायने हैं. दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए पीएम मोदी का रूस दौरा बहुत ही अहम माना जा रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद नई दिल्ली और क्रेमलिन के बीच व्यापारिक साझेदारी बढ़ी है. पश्चिम देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. ऐसे में भारत कहीं न कहीं रूस के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.
PM Modi Russia Visit: फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार मॉस्को का दौरा करने वाले हैं. इससे पहले पीएम मोदी ने साल 2019 में रूस का दौरा किया था. पीएम मोदी की यह रूसी यात्रा बहुत ही अहम होने वाली है. प्रधानमंत्री मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 8 से 9 जुलाई तक मास्को में रहेंगे.
उनके दौरे को लेकर रूस ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मास्को यात्रा की उम्मीद है जो रूस-भारत संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने रूस के सरकारी टेलीविजन चैनल VGTRK को दिए इंटरव्यू में शनिवार को कहा कि मास्को में प्रधानमंत्री मोदी का व्यापक कार्यक्रम होगा और दोनों देश के नेता बातचीत करेंगे.
पीएम मोदी के रूस दौरे के मायने
इस यात्रा को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन भारत और रूस के बीच बहुआयामी संबंधों की सम्पूर्ण समीक्षा करेंगे तथा आपसी हितों के समकालीन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों को साझा करेंगे.
पीएम मोदी के इस दौर में दोनों देशों के नेताओं के बीच कई समझौते पर मुहर भी लग सकती है. रिपोर्ट्स के अनुसार रूस, भारत को सुखोई-57 (SU-57) दे सकता है. इसके साथ मैंगो शेल्स की डील भी फाइनल हो सकती है. इस डिफेंस डील से भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा होगा.
चीन के प्रति रूस के झुकाव को कम करना चाहेंगे पीएम मोदी
भारत और रूस के बीच दोस्ती बहुत ही पुरानी है. जब भी दिल्ली संकट से गुजरी मॉस्को ने हमेशा साथ दिया है. भारत को सस्ता तेल और हथियार देने वाला रूस ही है. लेकिन रूस की चीन से बढ़ती दोस्ती ने दोनों देशों की साझेदारी को प्रभावित किया है. पीएम मोदी अपने इस दौरे में चीनी की और बढ़े रूसी झुकाव को कम करने की कोशिश जरूर करना चाहेंगे.
भारत और चीन दक्षिण एशिया में दो सबसे बड़े प्रतिस्पर्धा है. ऐसे में चीन की ओर रूस के गहरे होते संबंध भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाले हैं. दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए हिंदुस्तान भारत- अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड समूह का सदस्य है. यह संगठन एशिया में चीनी की बढ़ती दादागिरी को कम करने के लिए काम कर रहा है.
भारत के लिए रूस सबसे बड़ा तेल निर्यातक
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से भारत रूस का प्रमुख ट्रेडिंग पार्टनर है. भारत के साथ चीन भी रूस का प्रमुख व्यापारिक साझेदार बना हुआ है. रूस, अपना कच्चा तेल भारत के जरिए वैश्विक सत्र पर बेच रहा है. इससे भारत और रूस दोनों को फायदा हो रहा है.
तेल आयात की बात करें तो रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आयातक रहा है. मौजूदा समय की बात करें तो हिंदुस्तान रूस से प्रति दिन 20 लाख बैरल तेल ले रहा है. दोनों देश अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. अभी तक भारत को जो व्यापार स्वेज नहर के रास्ते होने में 40 दिन का समय लगता था इस आईएनएसटीसी से यह कम होकर 25 दिन तक हो जाएगा.