वाराणसी/संसद वाणी : साहित्यिक-सांस्कृतिक मुक्ताकाशीय मंच ‘पुलिया प्रसंग’ का तृतीय वार्षिकोत्सव समारोह का आयोजन आई.आई.टी बीएचयू की पुलिया पर रविवार को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बीएचयू के ख्यात डीएनए वैज्ञानिक प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे उपस्थित रहे।अध्यक्षता भौतिकी विभाग के आचार्य प्रो देवेंद्र मिश्र ने की।इस अवसर पर अतिथियों द्वारा अखबार विक्रेता छन्नूलाल, चाय विक्रेता मजनू तथा फल विक्रेता राजकुमार चौबे को अंगवस्त्रम व पुष्प देकर सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि यहाँ बैठकर यह महसूस होता है कि डीएनए का विकास खून के रिश्तों से ही नहीं, गुरु – शिष्य के ज्ञानात्मक रिश्तों से भी होता है।गुरू से विद्यार्थियों में संस्कार के निर्माण में ऐसे माध्यम की बहुत बड़ी भूमिका होती है।प्रो. चौबे ने कहा कि स्थिरता की गत्यात्मकता का माध्यम है पुलिया प्रसंग।उन्होंने कहा कि यह केवल संवाद का मंच ही नहीं,विचार सम्पन्न दिशा- सूचक मंच भी है जहां से जुड़कर युवकों में सही दिशा का बोध हो सकता है।
अध्यक्षता कर रहे प्रो.देवेंद्र मिश्र ने कहा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ सोच -विचार को समुन्नत बनाये रखना पुलिया संवाद का प्रमुख उद्देश्य है।
स्वागत वक्तव्य देते हुए पुलिया प्रसंग के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि पुलिया देवसंवाद के बरक्स लोक संवाद का मंच है। यहाँ आत्म विश्वास व आत्मपरिष्कार दोनों की उपस्थिति देखी जा सकती है।संवेदना को ज्ञान के साथ जोड़कर उसे एक सही दिशा देना पुलिया प्रसंग का विशेष उद्देश्य है। यदि आपके पास अपनी बात को कहने की कला है तो आपको अपने जीवन और चरित्र निर्माण में कोई कठिनाई नहीं होगी। पुलिया से जीवन की अनेक राहें निकलती हैं।
युवा आलोचक डॉ. विंध्याचल यादव ने कहा कि पुलिया प्रसंग में एक आंतरिक सहजता है। पुलिया ज्ञानार्जन की एक स्वाभाविक उपस्थिति को पैदा करने वाला मंच है। पुलिया प्रसंग ज्ञान को विभागों और विश्वविद्यालयों से निकालकर आम जनमानस तक पहुँचाने का प्रयत्न करता है।
प्रयागराज से पधारे युवा कवि डॉ. अमरजीत राम ने कहा कि पुलिया एक ऐसा विचारमंच है जहाँ से नित नवीन ज्ञान का प्रवाह होता रहता है। संवाद के इस मंच से होने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से युवा साथियों की साहित्यिक रुचि का निरन्तर परिष्कार होता रहता है।
इस अवसर पर डॉ. शैलेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिया प्रसंग एक लोकमंच है। यह मुक्त मन का मुक्त मंच है
डॉ. अनिल सूर्यधर ने कहा कि लोक और विज्ञान का सामंजस्य पुलिया प्रसंग जैसे आयोजन करते है।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी पीयूष पुष्पम ने कहा कि युवकों के भीतर वैचारिक संवाद व आत्मविश्वास विकसित करने के लिए ऐसे आयोजन का बहुत महत्व है।
कार्यक्रम में चर्चित कवि सुभाष राय द्वारा लिखित कविता ‘पुलिया गान’ का गायन डॉ. उदय पाल ने किया तथा शोध छात्र सुधीर गौतम ने बाँसुरी वादन भी किया।इस अवसर पर पुलिया प्रसंग पर पुलिया संवाद के महत्व पर अक्षत पाण्डेय के लिखे लेख का पाठ शोधार्थी शिवम यादव द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का संचालन युवा अध्येता व समीक्षक अक्षत पांडेय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य डॉ. उदय प्रताप पाल ने किया। वर्षगांठ के इस भव्य कार्यक्रम में पुलिया प्रसंग के सभी साथियों की उपस्थिति रही।