महायुति सरकार में शिवाजी की प्रतिमा ढही तो अजीत पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वे अब शांति मार्च करेंगे. उनकी मांग है कि इसकी जांच हो कि कैसे महज 9 महीने के भीतर ही छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति कैसे गिर पड़ी. सरकार ने मूर्ति बनाने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. अब एनसीपी, इसे लेकर राज्यभर में प्रदर्शन के मूड में आ गई है.
महाराष्ट्र (Maharashtra) में विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2024) से ठीक पहले छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति क्षतिग्रस्त होने पर सियासी रार ठन गई है. शिवाजी की मूर्ति ढहने के बाद डिप्टी सीएम अजीत पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) ने अपनी ही सरकार की निंदा की है. अब एनसीपी कार्यकर्ता जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे हैं और सरकार के खिलाफ मौन धरना दे रहे हैं. महाराष्ट्र NCP अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा है कि यह बहुत ही दर्दनाक और दिल दहला देने वाला मामला है. मालवण में राजकोट किले में स्थापित महान छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिर गई है. चौंकाने वाली बात ये है कि यह मूर्ति सिर्फ 8 महीने में गिर गई है.
एनसीपी नेता (अजीत गुट) सुनील तटकरे ने कहा, ‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक अक्षम्य गलती हुई है. इस त्रासदी के विरोध में और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को पूरे राज्य में एक रैली आयोजित की है. 29 अगस्त को सुबह 11:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक हम छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने मौन विरोध प्रदर्शन करेंगे. हम मांग करेंगे कि इस मामले में जो भी दोषी है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.’
क्या चाहते हैं अजीत पवार?
एनसीपी (अजीत गुट) की मांग है कि सरकार 24 घंटे काम करे और राजकोट किले में शिवाजी महाराज के सम्मान में एक नई प्रतिमा जल्द से जल्द बनाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण 4 दिसंबर 2023 को किया था. यह मूर्ति महज 9 महीने के भीतर गिर पड़ी.
महाराष्ट्र में सुलगा है राजनीतिक विवाद
प्रतिमा गिरने के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है. कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद गुट) के विपक्षी गठबंधन ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग की है. लोक निर्माण विभाग की शिकायत में आरोप लगाए गए हैं. आरोप ये हैं कि प्रतिमा का निर्माण तय मानकों के हिसाब से नहीं हुआ है. संरचना में इस्तेमाल किए गए नट और बोल्ट में जंग लगी थी. इस प्रोजेक्ट में शामिल ठेकेदार जयदीप आप्टे और कंस्ट्रक्शन एडवाइजर चेतन पाटिल के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.
महायुति सरकार में रार!
अजीत पवार के मौन प्रदर्शन को लेकर यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि महायुति सरकार में सब ठीक नहीं है. बीते लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक, सरकार में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. शिवसेना का विभाजन हो चुका है, एनसीपी का विभाजन हो चुका है. महायुति का नया गठबंधन भी अब एक-दूसरे के खिलाफ मुखर हो रहा है. एनसीपी, तबसे से नाराज है, जबसे अजीत पवार के सांसदों को मंत्रालय में अहम पद नहीं मिला है. राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 30 सीटों पर विपक्ष ने जीत हासिल कर ली है. अब राज्य में बढ़ते सियासी टेंशन को देखते हुए महायुति सरकार में भी बदलाव की आहट नजर आ रही है.