Sunday, April 20, 2025
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कैंसर का पता चलने पर मन में पहला ख्याल आया था कि मै…..सोनाली बेंद्रे ने बताया सबकुछ 

2018 में सोनाली बेंद्रे को मेटास्टिक कैंसर होने का पता चला था, उनका कैंसर स्टेज चार पर था. सोनाली ने बताया कि सबसे पहले मेरे दिमाग में यही ख्याल आया कि मैं ही क्यों? हालांकि इसके बाद मेरे विचार पूरी तरह बदल गए.

लंबे समय से फिल्मी दुनिया से दूर रहीं सोनाली बेंद्रे एक बार फिर से लोगों को अपनी एक्टिंग का जौहर दिखाने के लिए तैयार हैं. सोनाली न्यूजरूम-ड्रामा सीरीज  The Broken News ने  सिनेमाई पर्दे पर वापसी करने जा रही हैं. इस सीरीज का सीक्वल मई 2024 में ZEE5  पर स्ट्रीम होने जा रहा है. इसी बीच एक्ट्रेस ने कैंसर के साथ अपनी जंग की यात्रा की कहानी साझा की है. ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे (Humans of Bombay) के साथ बातचीत में सोनाली ने बताया कि उन्होंने कैंसर से कैसे जंग जीती.

कैंसर होने पर मन में पहला ख्याल क्या आया था

जब सोनाली से पूछा गया कि आपने कैंसर से कैसे लड़ाई लड़ी, कैंसर का पता चलने पर आपके मन में सबसे पहले क्या ख्याल आया था? इस पर सोनाली ने कहा, ‘मेरे मन में सबसे पहले यही आया कि मैं ही क्यों? मैं यह सोचकर जाग जाती थी कि यह एक बुरे सपने जैसा था. मैं यकीन नहीं कर सकती थी कि ऐसा मेरे साथ हो सकता है. इसके बाद मैंने अपने विचारों को बदलना शुरू कर दिया. यह सोचने के बजाय कि मैं ही क्यों…मैं खुद से सवाल करने लगी की मैं क्यों नहीं? मैं ईश्वर का धन्यवाद देने लगी कि यह सब कुछ मेरी बहन और बेटे के साथ नहीं हुआ. मुझे ऐहसास हुआ कि मेरे पास इससे लड़ने की ताकत है. मेरे पास अच्छे अस्पताल जाने के स्रोत थे और मेरे पास ऐसा सपोर्ट सिस्टम है जो मुझे इससे छुटकारा दिलाने में मदद करेगा. जब मैंने अपने आप से यह पूछना शुरू किया कि मैं क्यों नहीं? तो इसने मुझे ठीक होने में काफी मदद की.’

2018 में सोनाली को हुआ था मेटास्टिक कैंसर

बता दें कि साल 2018 में सोनाली बेंद्रे को मेटास्टिक कैंसर होने का पता चला था, उनका कैंसर स्टेज चार पर था. इसके बाद उनका न्यूयॉर्क सिटी हॉस्पिटल में इलाज चला और 2021 में वह पूरी तरह से ठीक हो गईं. आज सोनाली लोगों में कैंसर को लेकर जागरूकता फैला रही हैं और कैंसर से जूझ रहे लोगों की मदद करती हैं.

2021 में कैंसर सर्वाइवर्स डे पर उन्होंने एक इंस्टा पोस्ट में लिखा था, ‘समय कैसे उड़ जाता है…आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे ताकत दिखाई देती है. मुझे कमजोरी दिखाई देती है लेकिन सबसे जरूरी मैं C शब्द को यह परिभाषित नहीं करने देने की इच्छाशक्ति देखता हूं कि इसके बाद मेरा जीवन कैसा होगा….आप वह जीवन बनाते हैं जिसे आप चुनते हैं. यात्रा वही है जो आप बनाते हैं.’

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