Bihar Politics: बिहार की राजनीति में सियासी हवा, कब किसकी तरफ हो जाए, कहा नहीं जा सकता है. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. तेजस्वी यादव और जेडीयू की ओर से यह कहा गया है कि यह बैठक, सरकारी काम से जुड़ी थी लेकिन इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही हैं. समझिए क्या है मामला.
Nitish Kumar Tejashwi Yadav Meet: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जब भी विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात करते हैं, सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के नेताओं की धड़कनें तेज हो जाती हैं. साल 2014 के बाद से ही नीतीश कुमार, कभी एनडीए में होते हैं, कभी महागठबंधन में. इन दिनों महागठबंधन का हिस्सा हैं लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के साथ उनकी मुलाकात के बाद से ही सबको एनडीए में खेला होने की चिंता सता रही है. वजह, नीतीश कुमार का अतीत है. वे इतनी बार पलटी मार चुके हैं कि उन्हें पलटूराम का टैग तक मिल चुका है.
बिहार की सियासत पर नजर रखने वाले सियासी पंडितों का मानना है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और सीएम नीतीश कुमार के बीच सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर मुलाकात हुई है. नियुक्ति प्रक्रिया के लिए बनी कमेटी में सीएम और नेता प्रतिपक्ष के साथ मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों का रहना अनिवार्य होता है. सीएम ही तय करते हैं कमेटी का अध्यक्ष कौन होगा लेकिन इस मुलाकात के दूसरे सियासी मायने लगाए जा रहे हैं.
नीतीश कुमार, जब-जब तेजस्वी यादव से मिले हैं, खेला हुआ है. जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के तेवर एक हैं. जब वे तेजस्वी यादव के साथ थे, जातिगत जनगणना की कवायद तेज हो गई थी. एक दिन उन्होंने अचानक पलटी मार ली और बीजेपी के साथ जा मिले. मुख्यमंत्री वही रहे लेकिन पूरी कैबिनेट बदल गई. अब लोगों को लग रहा है कि कहीं फिर से खेला न हो जाए. इस बार नीतीश कुमार का पलटे तो केंद्र सरकार पर भी आंच आ जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार तो है लेकिन बीजेपी के पास बहुमत नहीं है. बहुमत के लिए नीतीश कुमार का समर्थन अनिवार्य है.
क्या सच में खेला होने वाला है?
अगर सरकारी बयानों की मानें तो नहीं. बिहार के सीएम और तेजस्वी यादव की बैठक औपचारिक थी और नियुक्ति से जुड़ी हुई थी. बैठक भी महज आधे घंटे की थी. नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद के बाद तेजस्वी यादव ने कुछ अलग बातचीत का भी जिक्र किया था. यह मुद्दा क्या है, यह राज भी हो सकता है. वैसे लोग कह रहे हैं कि जातिगत जनगणना को लेकर दोनों के बीच बातचीत हुई है.
क्या जातिगत जनगणना बिगाड़ेगी एनडीए का खेल?
नीतीश कुमार का जातिगत जनगणना पर रुख केंद्र सरकार के अलग है. वे जातीय जनगणना चाहते हैं, बीजेपी का रुख इस पर अलग है. जातिगत जनगणना का मुद्दा राहुल गांधी भी जोरशोर से उठाते हैं, विपक्षी दलों की भी संयुक्त मांग है कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए.
तेजस्वी यादव ने बैठक के बाद कहा है कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच बात हुई है. दोनों चाहते हैं कि नौवीं अनुसूची में डाले जाने के लिए दोनों चाहते हैं केंद्र पहल करे. नीतीश कुमार, अभी किंग मेकर की भूमिका में हैं. नीतीश कुमार का कहना है कि यह मुद्दा कोर्ट में लंबित है. वहां सरकार अपना पक्ष रखेगी.
आरक्षण की सीमा बढ़ाने वाले प्रस्ताव पर भी कोर्ट ने रोक लगाई है. जातिगत जनगणना ऐसा मुद्दा है कि जिस पर नीतीश कुमार को तगड़ा जनसमर्थन मिल सकता है. हाल के बयान नीतीश कुमार के ऐसे नहीं रहे हैं कि वे मोदी सरकार से नाराज हैं लेकिन उनके बारे में सियासी जानकार भी भविष्यवाणी करने से बचते हैं.
क्यों पाला नहीं बदलेंगे नीतीश? जानिए वजहें
कांग्रेस नेता जयंती पांडेय बताते हैं कि नीतीश कुमार ऐसा कुछ नहीं करेंगे. वे अभी सुरक्षित स्थिति में हैं और जो चाहें, उसके लिए केंद्र सरकार पर दबाव बना सकते हैं. जब तक इंडिया ब्लॉक उन्हें प्रधानमंत्री का पद ऑफर न करे, तब तक उनके लिए पाला बदलने का कोई अर्थ नहीं है. उनके पास संख्याबल है, जिसकी वजह से वे अपनी मांगें, केंद्र से मंगवा सकते हैं. कोर्ट में मामला लंबित है, नहीं तो नीतीश कुमार जातिगत जनगणना पर भी बीजेपी पर दबाव बना सकते हैं.
नीतीश कुमार की कोई राजनीतिक मजबूरी ऐसी नहीं है कि वे अभी पाला बदलें. समाजवादी पार्टी के नेता राजेंद्र यादव नीतीश कुमार पर बोलते हुए कहते हैं कि उनके बारे में कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जाता. वे क्या करेंगे, इसकी खबर, अपने परिवारवालों को भी नहीं देते हैं. वे कभी भी, किसी भी तरह से चौंका सकते हैं.