PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल आसान नहीं रहने वाला है. कई बड़े मुद्दों पर उन्हें अपने सहयोगियों का समर्थन प्राप्त करना होगा. इस कार्यकाल में उनके लिए किसी भी बड़े फैसले को लागू करना आसान नहीं होगा.
नरेंद्र मोदी आज (9 जून) शाम 7 बजकर 15 मिनट पर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ लेंगे. सूत्रों की मानें तो उनके साथ 18 कैबिनेट मंत्री भी शपथ ले सकते हैं. मोदी 3.0 सरकार की राह आसान नहीं होने वाली है. पीएम मोदी को बड़े फैसले लेने से पहले अपने सहयोगियों से राय लेनी होगी. कुछ ऐसे फैसले हैं जिन पर पीएम मोदी को अपने सहयोगियों से विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है. तीसरे कार्यकाल में कोई भी बड़ा फैसला लागू करना पीएम मोदी के लिए जरा भी आसान नहीं होने वाला है.
नरेंद्र मोदी के शपथ लेते ही उनके नेतृत्व वाली तीसरी सरकार देशहित में काम करना शुरू कर देगी. अपने पिछले 2 कार्यकाल में उन्होंने कई कड़े फैसले लिए थे. दूसरे कार्यकाल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को रद्द करना, सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट जैसे बड़े फैसले लिए थे. उनका तीसरा कार्यकाल चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
समान नागरिक संहिता को लागू करना नहीं होगा आसान
भाजपा के एजेंडे में हमेशा से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना रहा है. पीएम मोदी अपने कार्यकाल में इसे लागू करने पर जोर देंगे. लेकिन इस फैसले पर उन्हें अपने सहयोगी दलों का समर्थन भी जुटाना होगा. UCC के मुद्दे पर बीजेपी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव जीता था. उत्तराखंड में यूसीसी को लागू भी कर दिया गया है. अब बीजेपी समान नागरिक संहिता को पूरे देश में लागू करने की सोच रही है. लेकिन इस मामले में एनडीए के सहयोगी दलों की अलग-अलग राय है. बीजेपी ने अपने सबसे प्रमुख मुद्दे में से एक जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को दूसरे कार्यकाल में रद्द किया था. तीसरेर कार्यकाल में उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा यूसीसी होगा.
नीतीश कुमार की जेडीयू एक समय यूसीसी को लेकर काफी सख्त थी. लेकिन अब सुर बदले हुए नजर आ रही है. उसका कहना है कि यूसीसी के मुद्दे पर सभी की राय लेना जरूरी है. अगर मोदी सरकार यूसीसी को लेकर आगे बढ़ती है और इसे लागू करने में कामयाब होती है तो ये उसका अब तक लिए गए सबसे बड़े फैसलों में से एक होगा.
अग्निवीर योजना को लेकर लिया जा सकता है बड़ा फैसला
अग्निवीर योजना को लेकर देश में काफी विरोध देखा गया. अभी भी इसके खिलाफ आवाज उठाई जा रही है. कांग्रेस ने तो कहा था कि अगर वह सरकार में आती है तो इस योजना को फाड़ कर कूड़ेदान में डाल देगी. इस स्कीम को लेकर जेडीयू कह चुकी है कि इसमें कुछ सुधार करने की आवश्यकता है. लोकसभा चुनाव में अग्निवीर का मुद्दा छाया रहा. राहुल गांधी ने अपने चुनाव प्रचार में अग्निवीर को लेकर कई बयान दिए थे.
ऐसे में ये भी संभव है कि मोदी सरकार अग्निवीर योजना में सहयोगियों के कहना पर जरूरी सुधार कर सकती है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की मानें तो भारतीय सेना इस स्कीम को लेकर सर्वे कर रही है. सेना अग्निवीर सैनिकों से फीडबैक ले रही है. अग्निवीरों से फीडबैक फार्म भरवाया जा रहा है.
इस स्कीम को लेकर मोदी सरकार या तो इसमे सुधार कर सकती है. या इस स्कीम पर जो सवाल उठाए जा रहे हैं उनमें सुधार करके कोई नया तरीका निकालकर इस स्कीम को और मजबूत बना सकती है. संभव ये भी है कि इस स्कीम को सरकार किसान कानून की तरह वापस भी ले सकती है. हालांकि, इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है कि सरकार अग्निवीर स्कीम पर क्या फैसला लेगी.
कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि मोदी को अपने तीसरे कार्यकाल में कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. उनकी तीसरे कार्यकाल की राह आसान नहीं होने वाली है.