नई दिल्ली/संसद वाणी : नरेंद्र मोदी ने कल रविवार शाम शपथ ली। 30 कैबिनेट मंत्री,पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और 36 राज्य मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई।अभी मंत्रालयों का बंटवारा नहीं हुआ है।नरेंद्र मोदी कैबिनेट की पहली बैठक आज शाम होने वाली है।बैठक में कई फैसले लिए जाने की संभावना है।इस कैबिनेट के जरिए नरेंद्र मोदी ने कई राजनीतिक और सामाजिक संदेश देने की कोशिश की है। आइए देखते हैं कि नरेंद्र मोदी की कैबिनेट से क्या संदेश निकल रहे हैं।
नए चेहरों को मिली जगह
नरेंद्र मोदी पहली बार ऐसी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें शामिल भाजपा के पास बहुमत नही हैं।इसका असर मंत्रीमंडल में भी नजर आ रहा है।भाजपा ने सहयोगी दलों के पांच लोगों को कैबिनेट मंत्री बनाया है,जिससे नारायण राणे,परषोत्तम रूपाला और अनुराग ठाकुर को जीत के बाद भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।इन लोगों को भाजपा संगठन में जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।मोदी की पिछली सरकार से 17 मंत्री चुनाव हार गए हैं।इनमें कैबिनेट मंत्री स्तर की स्मृति ईरानी, आरके सिंह, अर्जुन मुंडा और महेंद्र पांडे का नाम शामिल हैं।हारे हुए मंत्रियों में से केवल एल मुरुगन को ही मंत्री बनाया गया है।एल मुरुगन मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं।एल मुरुगन तमिलनाडु की नीलगिरी (सुरक्षित) सीट से लोकसभा हार गए थे।
भाजपा का दबदबा
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मीडिया में खबरें आईं कि भाजपा के सहयोगी दल हर तीन सांसद पर एक मंत्री पद मांग रहे हैं,लेकिन शपथ ग्रहण के बाद यह सामने आया कि ऐसे किसी फार्मूले पर विचार नहीं हुआ है।एनडीए में भाजपा के बाद सबसे बड़े दो दल टीडीपी और जेडीयू को कैबिनेट में केवल दो-दो बर्थ ही मिली है।इससे पता चलता है कि सहयोगी दल भाजपा से बहुत ज्यादा बारगेन नहीं कर पाए हैं।इससे यह संकेत मिला कि भाजपा बहुत दवाब में नहीं आई है।
कैबिनेट विस्तार की गुंजाइश
मोदी कैबिनेट में 71 मंत्रियों को शामिल किया गया है।नियमों के मुताबिक कैबिनेट में अधिकतम 81 मंत्री ही रह सकते है।मंत्रिमंडल में अभी भी 8-9 सीटें खाली हैं।आने वाले दिनों में ही तय हो पाएगा कि मोदी कैबिनेट का विस्तार कब होता है और अगर होता है तो इसमें किसे जगह मिलती है।
यूपी की हार के बाद
भाजपा उत्तर प्रदेश से आए चुनाव नतीजों से सबसे ज्यादा परेशान है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में 29 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।इसके अलावा वाराणसी सीट जहां पीएम नरेंद्र मोदी उम्मीदवार थे, वहां वे डेढ लाख के अंतर से ही चुनाव जीत पाए हैं,जिससे भाजपा की परेशानी बढ़ गई है। यूपी में 2026-2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं।इसका असर कैबिनेट में भी दिखाई दिया।मोदी कैबिनेट में यूपी से 10 मंत्रियों को शामिल किया गया है। यूपी से एनडीए का हर तीसरा सासंद मंत्री बना है।इससे पहले 2019 में भाजपा को जब 80 में से 62 सीटें मिली थीं, तो यूपी से 12 लोगों को मंत्री बनाया गया था।
भाजपा को मिलेगा नया अध्यक्ष
नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट ने भाजपा संगठन में बदलाव का रास्ता भी दिखाया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को कैबिनेट में जगह दी गई है। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद की नीति है। इससे भाजपा को नया अध्यक्ष मिलना तय हो गया है।इससे पहले 2014 में राजनाथ सिंह भाजपा अध्यक्ष थे। राजनाथ सिंह को मोदी कैबिनेट में जगह मिली थी।इसके बाद अमित शाह अध्यक्ष बनाए गए।वहीं 2019 में अमित शाह भाजपा अध्यक्ष थे। अमित शाह मोदी 2.0 में कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद जेपी नड्डा को भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।अब जेपी नड्डा के मंत्री बनने के बाद सवाल यह है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा।
विश्व को संदेश
नरेंद्र मोदी कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह में सात देशों के शासनाध्यक्ष मौजूद थे।इस तरह से मोदी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की।संदेश यह था कि नई सरकार पहले की तरह विदेशी मोर्चे पर पड़ोसी पहले की नीति जारी रखेगी।इसके साथ ही नई समुद्र नीति अपनाई जाएगी।शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, मॉरीशस, सेशल्स, नेपाल और भूटान के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया गया था। इनमें से पांच हिंद महासागर क्षेत्र के देश हैं, तो नेपाल और भूटान अहम पड़ोसी हैं।नरेंद्र मोदी ने अपने पहले शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों को आमंत्रित किया था।वहीं दूसरे कार्यकाल में शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान और चीन को छोड़ सभी पड़ोसी देशों के अलावा थाईलैंड और किर्गिस्तान को निमंत्रित किया गया था।
भाजपा का मिशन दक्षिण
भाजपा दक्षिण भारत में पैर जमाने की लगातार कोशिशें कर रही हैं,लेकिन भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है। इस बार के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए उत्साहवर्धक है। वामपंथ के गढ़ केरल में भाजपा पहली बार कोई सीट जीत पाई है। वहीं कर्नाटक में भाजपा की सीटें 25 से घटकर 17 रह गई हैं,तेलंगाना में सीटों की संख्या चार से बढ़कर आठ हो गई हैं, लेकिन दक्षिण के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु में भाजपा को कोई सफलता नहीं मिली है। इसके बाद भी भाजपा ने कैबिनेट में दक्षिण भारत को भरपूर जगह दी है। केरल से दो, तमिलनाडु से दो, तेलंगाना से दो, आंध्र प्रदेश से एक और कर्नाटक से चार लोगों को जगह दी गई है।
पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में कोई मुसलमान नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में पांच अल्पसंख्यकों को शामिल किया गया है। इसमें पांच अल्पसंख्यक तो शामिल हैं, लेकिन इनमें कोई मुसलमान नहीं है।यह देश की लगभग 20 फीसदी आबादी को अनदेखा करना है। भाजपा और उसे समर्थन दे रहे दलों से भी कोई मुसलमान प्रत्याशी लोकसभा चुनाव नहीं जीता है।इसके अलावा इन दलों का राज्यसभा में भी कोई मुसलमान सदस्य नहीं है।यह तब है जब लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुसलमान का मुद्दा चर्चा में रहा।
जातिय संरचना से निकला संदेश
नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार में भाजपा ने जातीय गणित का भी ध्यान रखा है।मंत्रिमंडल में सामान्य वर्ग के 28 सदस्य हैं।इनमें आठ ब्राह्मण और तीन क्षत्रिय शामिल हैं।इनके अलावा भूमिहार, यादव, जाट, कुर्मी, मराठा, वोक्कालिगा समुदाय से दो-दो मंत्री बनाए गए हैं।सिख समुदाय के दो लोगों को मंत्री बनाया गया है।कर्नाटक के लिंगायत समुदाय के साथ-साथ निषाद, लोध और महादलित वर्ग के एक-एक व्यक्ति को मंत्री बनाया गया है।बंगाल के प्रभावशाली मतुआ समाज को भी जगह दी गई है।इनके अलावा अहीर, गुर्जर, खटिक, बनिया वर्ग को भी एक-एक बर्थ दी गई है।सवर्ण वर्ग को भाजपा का कोर वोटर माना जाता है।इसलिए उनको प्रमुखता से कैबिनेट में जगह दी गई है।वहीं चुनाव में लगे झटके के बाद भाजपा ने बाकी वर्गों को भी जगह देने की कोशिश की है।
मोदी मंत्रिमंडल में महिलाएं
इस बार चुनाव में 74 महिलाएं जीतकर संसद पहुंची हैं।ये महिलाएं भाजपा, टीएमसी और कांग्रेस समेत 14 दलों के टिकट पर मैदान में थीं।इनमें से 43 पहली बार चुनाव जीती हैं।सबसे अधिक 31 महिलाएं भाजपा के टिकट पर जीती हैं।इसके अलावा कांग्रेस की 13, टीएमसी की 11 और सपा की पांच महिला सांसद हैं। 18वीं लोकसभा में केवल 13.6 फीसदी महिला सांसद हैं।यह महिला आरक्षण के लिए बने कानून से काफी कम हैं। हालांकि यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है। नरेंद्र मोदी कैबिनेट में सात महिलाओं को मंत्री बनाया गया है।ये हैं निर्मला सीतारमण,अन्नपूर्णा देवी,रक्षा खड़से, सावित्री ठाकुर,अनुप्रिया पटेल,नीमूबेन बमभानिया और शोभा करंदलाजे।इनमें से अनुप्रिया पटेल को छोड़ सभी भाजपा की सदस्य है। भाजपा ने अपनी 31 महिला सांसदों में से छह को मंत्रिमंडल में जगह दी है।यह संख्या 20 फीसदी से भी कम है।