Exit Poll: लोकसभा या फिर विधानसभा चुनाव के खत्म होते ही एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हो जाते हैं. दरअसल, एग्जिट पोल में अलग-अलग सर्वे एजेंसियां नतीजों को लेकर भविष्यवाणियां करती हैं. कई बार ये सही, तो कई बार ये गलत भी साबित होती हैं.

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के लिए आज 7वें और आखिरी फेज की वोटिंग जारी है. शाम 5 बजे वोटिंग के खत्म होते ही एग्जिट पोल का दौर खत्म हो जाएगा. अलग-अलग सर्वे एजेंसियां अपने-अपने दावे के मुताबिक सरकार बनाती हैं. पार्टियों को सीटें देती हैं. आइए, जानते हैं कि आखिर एग्जिट पोल का चलन देश में कब से आया. इसे आखिर कैसे कंडक्ट करते है?

4 जून को सुबह 7 बजे से लोकसभा चुनावों के नतीजों के रुझान आने शुरू हो जाएंगे. पहले बैलेट बॉक्स फिर ईवीएम का खुलना शुरू हो जाएगा. संभावना है कि दोपहर तक कुछ हद तक स्थिति क्लियर हो जाएगी कि देश में अगली सरकार NDA की बन रही है या फिर INDIA गठबंधन की. इससे पहले पार्टियों एग्जिट पोल को लेकर अपने-अपने दावे करती हैं. जिन पार्टियों को बहुमत मिलता दिखता है, वो एक्जिट पोल के समर्थन में होती हैं और जिन पार्टियों को पिछड़ते हुए दिखाया जाता है, वो या तो इन पर भरोसा नहीं करती या फिर अंतिम नतीजों का इंतजार करने की बात कहते हैं. इस बार भी कांग्रेस ने एग्जिट पोल आने से पहले इसका बहिष्कार किया है. 

एग्जिट पोल के बाद आएगी असली नतीजों की बारी

आज शाम से एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने लगेंगे. फिर 4 जून की सुबह तक इन नतीजों के भरोसे ही पार्टियां अपनी-अपनी स्ट्रैटर्जी बनाएंगी. जब 4 जून को नतीजे सामने आने लगेंगे, तब राजनीतिक पंडित और एग्जिट पोल के लिए सर्वे करने वाली एजेंसिया आंकड़ों को मिलाएंगी. अक्सर ये आंकड़े सटीक होते हैं, लेकिन कई बार ये बिलकुल उलट भी हो जाते हैं. हां, कुछ सीटों का अंतर भी सामने आता है. आइए, अब एग्जिट पोल का इतिहास जान लेते हैं.

देश में एग्जिट पोल का इतिहास काफी पुराना माना जाता है. इसकी शुरुआत देश में आजादी के 10 साल बाद यानी 1957 से माना जाता है. जब 1957 में देश में आम चुनाव हुए थे, तब वोटिंग के बाद इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने नतीजों के लिए सर्वे किया. लेकिन असल में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 में उस वक्त हुई, जब सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (CSDS) ने दूरदर्शन के लिए एग्जिट पोल सर्वे किया. इसमें बताया गया कि कौन सी पार्टी चुनाव जीत रही है और कौन सी पार्टी पिछड़ रही है. इसके बाद देश में प्राइवेट चैनल्स की बाढ़ आई और एग्जिट पोल की भी. 

आखिर कैसे कंडक्ट होते हैं एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल के दौरान सर्वे करने वाली एजेंसियां वोट देने वाले मतदाताओं से कई सवाल करती हैं. उनके जवाब के आधार पर एक अनुमान तैयार किया जाता है. वोटर्स से पूछे जाने वाले सवालों में पूछा जाता है कि आपने किन मुद्दों को लेकर वोट किया, उनका मूड क्या है, चुनाव या फिर प्रत्याशी को लेकर उनका क्या कहना है. इन सवालों के मिले जवाब का एनालिसिस किया जाता है फिर अनुमान लगाकर बताया जाता है कि नतीजे क्या हो सकते हैं.

हां, ये भी सच है कि ये बस अनुमान होता है. हर बार इसके सही होने की पूरी गारंटी नहीं होती है. कई बार इसके गलत होने की भी संभावना होती है. ये ठीक उसी तरह है कि जैसे मौसम विभाग ने बारिश की भविष्यवाणी की, लेकिन तय समय पर बारिश नहीं हुई. कुल मिलाकर ये अनुमान पर आधारित रिजल्ट होता है.

2019 के एग्जिट पोल कितने सटीक थे?

आइए, अब जान लेते हैं कि 2019 लोकसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल के नतीजे क्या रहे थे और ये कितना सटीक साबित हुआ था. दरअसल, 2019 में जब एग्जिट पोल के नतीजे सामने आए थे, तब एनडीए के बंपर जीत की भविष्यवाणी की गई थी. कहा जा सकता है कि जीत का अनुमान लगाया गया था. हुआ भी कुछ ऐसा ही थी. आइए, जानते हैं किस सर्वे एजेंसी ने किसे कितनी सीटें दी थीं और वास्तविक आंकड़ा क्या था?

एग्जिट पोल एजेंसीएनडीएयूपीएअन्य
News18-IPSOS33682124
India Today-Axis My India339-36577-10882
News24-Todays Chanakya350 (+/-14)95 (+/-9)97 (+/-11)
Times Now-VMR 306132 104
India TV-CNX 300 (+/-10)120 (+/-5) 122 (+/-6)
ABP-CSDS  277130135
India News-Polstrat287128127
CVoter 287128127
Newsx Neta 242164डेटा नहीं

ऊपर टेबल के मुताबिक, अलग-अलग एजेंसियों ने एनडीए और यूपीए को अलग-अलग सीटें दी थीं. जब नतीजे सामने आए तो कुछ एग्जिट पोल के आंकड़ों पर मुहर लगी, जबकि कुछ एग्जिट पोल के नतीजे गलत तो नहीं साबित हुए लेकिन उनके आंकड़ों और असल नतीजों में फर्क दिखा. फाइनल नतीजों में भाजपा को अकेले 303 सीटें मिली थीं, जबकि एनडीए ने 353 सीटोंपर कब्जा जमाया था. वहीं, एग्जिट पोल के उलट यूपीए को मात्र 91 सीटें मिली थीं.

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