PM Modi Rock Memorial: पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार से मुक्त होते ही कन्याकुमारी के रॉक मेमोरियल जाने वाले हैं, जहां वह लगभग 18 से 20 घंटे तक ध्यान लगाने वाले हैं. ऐसा ही कुछ वह साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भी कर चुके हैं.

चुनाव में व्यस्त नेता 30 जून को प्रचार से मुक्त हो जाएंगे. आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होगी और नतीजे 4 जून को आ जाएंगे. ऐसे में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि अब वह 1 जून को कन्याकुमारी में ध्यान लगाएंगे. साल 2019 के चुनाव प्रचार से मुक्त होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी तरह रुद्र गुफा में ध्यान लगाया था जो काफी चर्चा का विषय बना था. अब 2024 में पीएम मोदी के नए ऐलान से हर तरफ चर्चाएं शुरू हो गए हैं. कन्याकुमारी ही क्यों जाएंगे? वहां जाएंगे तो क्या करेंगे? वहां का क्या महत्व है, जैसे सवाल लोगों के मन में कौंधने लगे हैं. देश के प्रधानमंत्री का कुछ ऐसा करना काफी अहम है, इसलिए हम सारे सवालों के जवाब ले आए हैं.

अब चलते हैं 2019 में. मई में आखिरी चरण की वोटिंग होनी थी लेकिन पीएम मोदी अचानक केदारनाथ पहुंच गए. रिपोर्ट के मुताबिक, वहां की रुद्र गुफा में पीएम मोदी ने कुल 17 घंटे तक ध्यान लगाया था. इस बार भी कमोबेश वैसा ही प्लान है. 30 मई को चुनाव प्रचार थमते ही पीएम मोदी कन्याकुमारी पहुंच जाएंगे. पिछली बार पीएम मोदी उत्तर दिशा में गए थे, इस बार ध्यान दक्षिण की ओर है.

कहां लगाएंगे ध्यान?

कन्याकुमारी में एक जगह है रॉक मेमोरियल. यहां मौजूद एक शिला बेहद मशहूर है. मशहूर होने की वजह यह है कि देश के महापुरुषों में से एक स्वामी विवेकानंद ने यहां पर ध्यान लगाया था. इस बार पीएम मोदी इसी रॉक मेमोरियल में ध्यान लगाने जा रहे हैं. 30 मई की रात से 1 जून की शाम तक उनका यह ध्यान चलेगा. इस बारे में बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस जगह का चयन यह दर्शाता है कि पीएम मोदी स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं?

पिछली बार क्या हुआ था?

पिछली बार भी लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार खत्म होते ही पीएम मोदी केदारनाथ की रुद्र गुफा तक गए थे और वहां ध्यान लगाया था. इस गुफा में पीएम मोदी के ध्यान लगाने के बाद से यह एक टूरिस्ट प्लेस जैसी बन गई. अब यहां पर ध्यान लगाने के लिए इसकी बुकिंग भी कराई जाती है. उस समय पीएम मोदी के इस ध्यान वाले प्लान को लेकर विपक्ष ने आपत्ति भी जताई थी और टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करते हुए कहा था कि इसकी कवरेज चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन है.

पीएम मोदी और बीजेपी का दक्षिण प्रेम

बीते कुछ सालों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भरसक कोशिश की है कि वह पूरे देश की पार्टी बन सके. इसी दिशा में उसने दक्षिण भारत पर खूब जोर दिया है. लोकसभा चुनाव के ऐलान से ठीक पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 3 महीने में 20 से ज्यादा दौरे किए थे. बात तेलंगाना की हो, केरल की हो या फिर दक्षिण भारत से सबसे ज्यादा सांसद भेजने वाली तमिलनाडु की, बीजेपी और पीएम मोदी ने खूब पसीना बहाया था.

तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और कर्नाटक के बारे में अमित शाह भी दावा कर रहे हैं कि इस बार उनकी पार्टी इन राज्यों में अच्छी-खासी सीटें जीतने जा रही है. हालांकि, बीजेपी के लिए दक्षिण में पैर जमाना अभी तो दूर की कौड़ी ही लग रहा है. इसके बावजूद पीएम मोदी और बीजेपी के अन्य नेता दक्षिण भारत में जमकर पसीना बहा रहे हैं. अब बीजेपी ने चर्च को भी साधना शुरू कर दिया हगै और दूसरी पार्टी के उन नेताओं के लिए दरवाजे भी खोल दिए हैं जो जमीन पर बीजेपी को मजबूत कर सकते हैं.

मोदी की स्ट्रैटजी?

पीएम मोदी को मीडिया में बने रहना अच्छे से आता है, यह उनके विपक्षी नेता भी मानते हैं. 30 मई को चुनाव प्रचार थमने के बाद रैलियां बंद हो जाएंगी और नेता एक तरह से घर बैठ जाएंगे. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी का यह दौरा पिछली बार की तरह ही सबसे बड़ी हाइलाइट होने वाला है. एग्जिट पोल्स के नतीजे भी 1 जून की शाम से आएंगे, ऐसे में पीएम मोदी फिर से अपने इस ‘ध्यान’ को बेहतर इवेंट में बदल सकते हैं.

हालांकि, इसका चुनाव पर क्या असर होता है, आखिरी चरण की वोटिंग में मतदाताओं पर इस इवेंट का कितना प्रभाव पड़ता है, यह सब बाद की बात होगी. इसके बावजूद, इतना तो तय है कि जैसे ही पीएम मोदी का यह दौरा शुरू होगा वह मीडिया की सुर्खियों में बने रहेंगे.

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