यूपी/संसद वाणी : उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग को एक बार फिर निजी क्षेत्र में देने की तैयारी है। इस खबर से जनता को 440 बोल्ट का झटका लगा है। खबर है कि योगी सरकार प्रदेश के विद्युत निगमों को अब निजी हाथों में देने की तैयारी है। घाटे की दुहाई देकर प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाया जाएगा। लखनऊ स्थित शक्ति भवन में सोमवार को हुई पावर कार्पोरेशन की बैठक में सभी वितरण निगमों के प्रबंध निदेशक, निदेशक और मुख्य अभियंताओं से निजीकरण के मुद्दे पर राय मशविरा किया गया। निदेशकों एवं मुख्य अभियंताओं से घाटे से निपटने के सुझाव मांगे गए। इसकी शुरुआत दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम से करने की तैयारी है। सूत्रों की माने तो सरकार ने इसका फार्मूला भी तय कर लिया है। प्रबंधन के पद पर प्रबंध निदेशक संबंधित निजी क्षेत्र की कंपनी का होगा, जबकि कार्पोरेशन का अध्यक्ष सरकार का प्रतिनिधि रहेगा। इस बीच सहभागिता के आधार पर पार्टनरशिप करके निजी क्षेत्र को जोड़कर सुधार पर चर्चा हुई है। इसकी भनक लगते ही ऊर्जा संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है और निजीकरण के खिलाफ आंदोलन का एलान किया है। सवाल यह है कि क्या सरकार बिजली सुधार कार्यक्रम और लगातार बिजली की कीमतों में बढ़ोत्तरी के बाद भी इस घाटे की पूर्ति क्यों नहीं कर पा रही है।