Hindi News: पूर्व मुख्य न्यायाधीश Dhananjaya Yeshwant Chandrachud ने कहा कि मेरा जवाब बहुत सरल है। क्या किसी एक पक्ष (पार्टी) या व्यक्ति को यह तय करना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए? क्या एक पार्टी तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला करे। क्षमा करें। यह काम मुख्य न्यायाधीश का है। शिवसेना (यूबीटी) नेता Sanjay Raut ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता पर याचिकाओं पर फैसला न करके राज्य में राजनेताओं के मन से कानून का डर खत्म कर दिया। इससे राजनीतिक दलबदल के लिए दरवाजे खुले रहे और बाद में हार हुई। संजय राउत ने कहा था कि इतिहास कभी भी डी वाई चंद्रचूड़ को माफ नहीं करेगा।
एक News Agency को दिए एक इंटरव्यू में संजय राउत के आरोपों से जुड़े एक सवाल जवाब देते हुए Dhananjaya Yeshwant Chandrachud ने कहा कि इस पूरे वर्ष हम मौलिक अधिकारों, नौ-न्यायाधीशों की पीठ के फैसलों, सात न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आए केसों को निपटा रहे थे। क्या एक व्यक्ति या पक्ष को यह तय करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामलों में सुनवाई करना चाहिए। यह अधिकार जज के पास होता है।
आपको बता दें कि वर्ष 2022 में Eknath Sindhe के विद्रोह के बाद अविभाजित शिवसेना को विभाजन का सामना करना पड़ा था। इसने Uddhav Thackeray के नेतृत्व वाली तत्कालीन सत्तारूढ़ एमवीए सरकार को गिरा दिया और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का गठन हुआ। इसके बाद ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के साथ पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की थी।