Tuesday, April 29, 2025
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गंगा का जल शुद्ध है, पर क्या आपके विचार शुद्ध हैं?

Maharashtra News: शिवसेना के युवा पदाधिकारी समाधान सरवणकर ने शिवसेना भवन के सामने एक बड़ा बिलबोर्ड लगाया है, जिस पर लिखा है की ‘गंगा का जल शुद्ध है, पर क्या आपके विचार शुद्ध हैं?’

दरअसल, मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने गुड़ी पड़वा मेले के अवसर पर कुंभ मेले में गंगा नदी में प्रदूषित जल का मुद्दा उठाया था. राज ठाकरे ने एक तरह से उन लोगों का मजाक उड़ाया था जो इस पानी को शुद्ध मानकर पीते थे. अब शिवसेना शिंदे गुट के दादर से नेता सदा सरवणकर के बेटे ने इस मुद्दे पर राज ठाकरे को चुनौती दी है.

शिवसेना शिंदे के दादर से नेता सदा सरवणकर के बेटे समाधान सरवणकर ने ने राज ठाकरे के घर से कुछ दूर पर बड़ा बिलबोर्ड लगाया है. उन्होंने बिलबोर्ड पर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और कुंभ मेले के शिवसैनिकों की तस्वीर लगाई गई हैं. साथ ही बिलबोर्ड पर लिखा, “यह हिंदुओं के लिए एकता का क्षण था.”

इसी तरह, समाधान सरवणकर ने अप्रत्यक्ष रूप से राज ठाकरे पर निशाना साधते हुए पूछा है कि, “गंगा का पानी शुद्ध है, लेकिन कुछ लोगों के विचार क्या हैं?” इसके जरिए शिंदे गुट ने एक तरफ राज ठाकरे पर निशाना साधा है तो दूसरी तरफ हिंदुत्व को जमकर बढ़ावा दिया है. शिंदे गुट का यह बैनर राज ठाकरे के घर से कुछ ही दूरी पर शिवसेना भवन के सामने लगाया गया है.

राज ठाकरे ने गुड़ी पड़वा के अवसर पर एक किस्सा सुनाया था. उन्होंने कहा था कि कुंभ मेले से लौटते समय बाला नंदगांवकर मेरे लिए गंगाजल लेकर आए थे. हालांकि, मैंने वह पानी नहीं पिया. उस समय, नए-नए प्रभावित हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने सोचा कि मैंने कुंभ मेले का अपमान किया है, लेकिन ऐसा नहीं है. सच यह है कि हमारे देश की नदियों की स्थिति भयावह हो गई है. करोड़ों लोग कुंभ मेले में गए थे. इन लोगों का मल नदी के पानी में मिल गया होगा. राज ठाकरे ने सवाल उठाते हुए कहा था कि फिर वह पानी शुद्ध कैसे हो सकता है?

कुंभ मेले में स्नान के बाद लाखों लोग बीमार पड़ गए. यह बात मुझे उत्तर प्रदेश के लोगों ने बताई. गंगा पर क्या स्थिति है? कुंभ मेले का अपमान करने का कोई सवाल ही नहीं है. सवाल पानी के बारे में है. अगर ऐसा धर्म हमारे प्राकृतिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है तो हमें इसके साथ क्या करना चाहिए? राज ठाकरे ने कहा था कि हमें अपना तरीका बदलने की जरूरत है.

बता दें कि 144 वर्षों के बाद आये दिव्य महाकुंभ मेले में विश्व भर से 600 मिलियन से अधिक हिंदुओं ने भाग लिया. उन्होंने त्रिवेणी संगम में स्नान कर अखंड हिंदू एकता का संदेश दिया. कुंभ मेला न केवल आस्था का बल्कि हिंदू संस्कृति की गौरवशाली भव्यता का भी जीवंत प्रतीक है. यह गर्व और गौरव का क्षण था.

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