Kolkata Doctor Case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है. विरोध के बाद इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इस दौरान ममता सरकार को फटकार भी लगाई है. सुप्रीम कोर्ट के कहने पर लंबे समय से हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने काम पर वापस लौटने की बात कही है.
Kolkata Doctor Case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की घटना पर पूरे देश में गुस्से का माहौल है. देशभर में इस जघन्य अपराध को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए. बढ़ते जन दवाब को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना पर मंगलवार को सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के बाद आरजी कर अस्पताल की कई खामियां सामने आई हैं. इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच का आदेश दिया था. सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है.
क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने के बाद सरकार की नींद खुली है. सरकार ने इस दौरान तीन पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है. इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार पर कई तरह के सवाल दागे थे. सीबीआई ने भी अपनी जांच से जुड़े तथ्य अदालत में रखे हैं. सीबीआई ने 22 अगस्त की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की गई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद क्या परिवर्तन हुआ है, अब उसे पढ़ लीजिए.
डॉक्टरों ने बंद की हड़ताल
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों ने गुरुवार को घोषणा की कि वे सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद कोलकाता की एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में अपनी 11 दिवसीय हड़ताल वापस ले रहे हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को काम पर लौटने को कहा था. कोर्ट ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके काम पर लौटने पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि आरजी कर घटना में सुप्रीम कोर्ट की अपील और हस्तक्षेप तथा डॉक्टरों की सुरक्षा के आश्वासन के बाद हम काम पर लौट रहे हैं. हम कोर्ट के कदम की सराहना करते हैं और उसके निर्देशों का पालन करने का आह्वान करते हैं. मरीजों की देखभाल करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
टास्क फोर्स के गठन का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कई निर्देश दिए. कोर्ट मे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के सुरक्षित कार्य स्थिति पर सुझाव देने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है. कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नेशनल टास्क फोर्स पर कार्यालय ज्ञापन जारी कर दिया है. इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों का समाधान करना है. इसमें कैबिनेट सचिव के अधिकारी और प्रतिष्ठित संस्थानों के चिकित्सा पेशेवर शामिल हैं.
अस्पताल में सीआईएसएफ की तैनाती
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा की कमान सीआईएसएफ संभाल ली है. सीआईएसएफ के जवान मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के रेजिडेंस डॉक्टर के हॉस्टल और अन्य जगहों पर तैनात किए जा रहे हैं. अस्पताल में तैनाती को लेकर डीआईजी प्रताप सिंह ने कहा कि हमने पहले ही चार्ज संभाल लिया है. हम सभी शिफ्टों में सुरक्षा मुहैया कराएंगे.
IMA दायर करेगा अंतरिम आवेदन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन IMA ने फैसला किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप करने के लिए एक अंतरिम आवेदन दायर करेगा. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मुख्यालय भी स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए अदालत द्वारा गठित टास्क फोर्स के समक्ष पेश होने के लिए दस्तावेज तैयार कर रहा है.
नया पोर्टल खोलने का आदेश
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे काम पर लौटने वाले प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. हालांकि, कोर्ट ने निजी अस्पतालों में सुरक्षा के लिए राज्य द्वारा कोई आदेश पारित करने से इंकार कर दिया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से एक पोर्टल खोलने को कहा है ताकि हितधारक डॉक्टरों की सुरक्षा पर सुझाव एनटीएफ को दे सकें.
पीड़िता की तस्वीर सोशल मीडिया से हटाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़िता की सभी तस्वीरें सोशल मीडिया से हटाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि कानून रेप पीड़िता की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. इसके बावजूद पीड़िता की तस्वीरें सोशल मीडिया पर हैं. अदालत ने कहा कि डॉक्टर और उसके परिवार की प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां
सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत मे तीखी टिप्पणियां की. सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर में देरी किए जाने पर ममता सरकार को खरी-खोटी सुनाई है. कोर्ट ने इस घटना को भयावह बताया है. अदालत ने सवाल पूछा कि सुबह 5 बजे मौत की सूचना मिली तो रात 11.45 पर एफआईआर क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा अननैचुरल डेथ रिपोर्ट दर्ज करने से पहले पोस्टमार्टम कैसे हुआ? पिछले 30 सालों के अंदर इतनी घोर पुलिसिया लापरवाही नहीं देखी. इस केस में महिला एएसपी अधिकारी की भूमिका पर संदेह है.