वक्फ संशोधन 2024 किसी भी सूरत में मंजूर नहीं, सरकार इसे तुरंत वापस ले: अमीर-ए-शरीयत

कोलकाता में इजलासे शूरा से पहले इमारत शरिया, बिहार ओड़ीशा एवं झारखंड ने प्रैस वार्ता द्वारा इस बिल को खारिज किया

कोलकाता/संसद वाणी। हमारा देश भारत विभिन्न सभ्यताओं, विभिन्न संस्कृतियों, विभिन्न धर्मों का देश है, यहां के संविधान और कानून की एक अनूठी और गौरवपूर्ण पहचान है, इसने सभी धर्मों के लोगों को अपने-अपने धर्म का पालन करने की खुली आजादी दी है विशेषकर देश में रहने वाले अल्पसंख्यकों को भारत के संविधान द्वारा पूर्ण धार्मिक संरक्षण प्रदान किया गया है। देश के बुनियादी संविधान में सारी बातें मौजूद हैं, लेकिन मुसलमान एवं अन्य अल्पसंख्यकों को परेशान करने, परेशान करने और भ्रमित करने के उद्देश्य से देश के संविधान के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। देश की कुछ सांप्रदायिक पार्टियों और सत्ताधारियों द्वारा ज़ुल्म,ना इंसाफ़ी, नफरत, और क्रूरता पैदा करने का काम किया जा रहा है। इस समय केंद्र सरकार ने देश भर में फैली वक्फ की संपत्ति पर कब्जा करने, मस्जिदों, मदरसों, खांकाहों, इमाम बाड़ों, यतीम खानों, मुसाफिर खानों समेत अन्य वक्फ की संपत्ति को बर्बाद करने हेतु वक़्फ़ बिल 2024 लाया गया है। जैसे ही यह बिल 8 अगस्त को देश के सांसद भवन में पेश किया गया देश के इंसाफ पसंद लोग, विपक्षी दल, यहां तक कि केंद्र सरकार के कुछ गठबंधन दल भी हैरान हो गए और उसके खिलाफ खड़े हो गए। जिसके नतीजे में इसे जेपीसी के पास भेज दिया गया। प्रन्तू जेपीसी के अध्यक्ष ने जिस प्रकार से लोगों की राय ली है वह बेहद दुखद और अलोकतांत्रिक है, स्टेक होल्डर, अवकाफ के मुतवल्ली, दिनी मिलली, तालीमी एवं धार्मिक रहनोमाओं से राय लेने में जेपीसी ने सुस्ती से काम लिया है, जिसकी वजह से जेपीसी में ही फूट पड़ गई है, यहाँ तक की मार पीट तक बात पहुँच गई है, जिसे भारत समेत पूरी दुनिया के लोगों ने देखा जो हम सब के लिए अफसोस और शर्म की बात है। मामला मुसलमानों का है, लेकिन राय गैर मुस्लिम, मंदिर मठों और अन्य धर्मों के ट्रस्टियों और अधिकारियों से लिया जा रहा है जो कि बिलकुल गलत है, और इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है,आज दिनांक 16.11.2024 होटल आइ वोरी इन पार्क सर्कस कोलकाता की यह प्रैस वार्ता केंद्र सरकार से मांग करती है कि वह इस वक्फ बिल में किसी प्रकार से कोई भी संशोधन ना करे कियूंकि यह बिल 2024 किसी प्रकार से मुल्क की गंगा जमनी संस्कृति से किसी तरह मेल नहीं खाता है, इसी लिए हम इसे अस्वीकार करते हैं। इस बिल का शुरे से अंत तक कोई भी हिस्सा हमें कबूल नहीं है। यह बातें इमारत शरिया बिहार ओड़ीशा एवं झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के अमीर ए शारीयत हज़रत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी सचिव आल इंडिया मुस्लिम पेर्स्न्ललॉ बोर्ड ने प्रैस वार्ता में कहीं। उनहों ने कहा कि कलकत्ता में इमारत शरिया कि शूरा का इजलास हो रहा है, इस से पहले भी इमारत शरिया के शूरा का इजलास हुआ, जिस में सम्पूर्ण रूप से इस बिल को खारिज किया गया।

प्रैस वार्ता से पश्चिम बंगाल कि राजधानी कोलकाता शहर कि जमे मस्जिद नाखुदा के इमाम कई संगठनों के जिम्मेदार हज़रत कारी मोहम्मद शफ़ीक़ साहब ने कहा कि इस बिल के विरूद्ध पूरे देश में एहतेजाज हो रहा है, पश्चिम बंगाल की निष्पक्ष जनता, यहां की सरकार समेत कानून में विश्वास रखने वाले सभी लोग इस बिल से नाराज हैं। सरकार को बिना किसी देरी के इस बिल को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए।

इस अवसर पर इमारत शरिया के कार्यवाकह सचिव जनाब मौलाना मोहम्मद शिबली कासमी साहब जनाब मौलाना मोहम्मद अंजार आलम साहब, काजिए शरीयत मरकज़ी दारुल क़ज़ा, जनाब हाजी शहूद आलम साहब, जनाब एहसान साहब जनाब ज़ाकिर साहब, जनाब एजाज साहब। इमारत शरिया के स्थानी कुजात (क़ाज़ी), जनाब राफे महमूद सिद्दीकी साहब के इलवा शहर के समाजी कार्यकर्ता, इमारत शरिया के शूरा के सदस्य एवं केंद्र कार्यालय पटना के जिम्मेदारान, कार्यकर्ता अन्य मौजूद रहे।

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