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‘स्त्रीधन का हकदार पति या पत्नी? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
स्त्रीधन, महिला को शादी में या शादी से पहले मिले हुए उपहार को कहते हैं. महिला को वर और कन्या, दोनों पक्षों से यह मिलता है. स्त्रीधन पर अधिकार को लेकर अरसे से बहस होती रही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने अहम बात कही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है स्त्रीधन एक महिला की संपत्ति होती है, उस पर पति का कोई अधिकार नहीं है. वह मुश्किल वक्त में इसका इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उसके मूल्य को लौटाने की जिम्मेदारी भी पति की है, यह पति का नैतिक दायित्व है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने रश्मि कुमार बनाम महेश कुमार भादा (1997) के मालमे में यह फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्त्रीधन पति और पत्नी की संयुक्त संपत्ति नहीं है. पति का उस पर कोई अधिकार नहीं है, न ही वजह स्त्रीधन का मालिक है. लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक महिला की संपूर्ण संपत्ति है.
पति को चुकाने होंगे 25 लाख
स्त्रीधन किसी महिला को शादी से पहले या विदाई के समय घरवालों से उपहार में मिलता है. इस केस में महिला ने अपने स्त्रीधन का मूल्य पति से मांगा था. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आदेश दिया कि पति 25 लाख रुपये की रकम चुकाए. महिला याचिकाकर्ता की उम्र अब 50 साल हो गई है, अब पति को 25 लाख रुपये चुकाने होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट का एक फैसला भी रद्द कर दिया है, जिसमें तलाक की अर्जी स्वीकार की गई थी. हाई कोर्ट ने महिला के ससुराल से स्त्रीधन के मूल्य के रूप में 8 लाख 90 हजार रुपये वसूलने की भी एक अर्जी पर फैसला सुनाया था. कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया.
क्या है यह केस?
याचिकार्ता का कहना है कि जब शादी हुई थी तब परिवार से कुछ जेवर मिले थे. शादी के बाद पिता से महिला को 1 लाख रुपये भी मिले थे. महिला का कहना है कि शादी की रात में ही उसके पति ने सारे जेवर रख लिए थे. पति ने कहा था कि वह गहनों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी मां को दे रहा है. पहले के कर्ज चुकाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया. दोनों में रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं निभा तो दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया. याचिकाकर्ता ने अपने आभूषणों की कीमत बताई और उसकी वसूली के लिए कोर्ट में एक अर्जी भी डाल दी. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा है कि स्त्रीधन पति को चुकाना ही होगा. वह महिला की पूर्ण संपत्ति है.