‘कम्युनल नहीं सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत…’, इशारों से क्या कह गए पीएम मोदी?

समान नागरिक संहिता पर बहस बहुत लंबी है. किसी भी सरकार ने समान नागरिक संहिता की ओर आगे बढ़ने का भी साहस किया है. संविधान के नीति निदेशक तत्वों में समान नागरिक संहिता का जिक्र है लेकिन किसी भी सरकार ने इसे लागू करने की पहल अभी तक नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख एजेंडों में से एक यह भी रहा है लेकिन 10 साल की प्रचंड बहुमत वाली सरकार में इस पर सरकार ने आगे कदम नहीं बढ़ाया. उत्तराखंड जैसे राज्यों में इसे जरूर लागू किया गया है.

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार, अब समान नागरिक संहिता की ओर आगे बढ़ सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से इस बार स्वाधीनता दिवस पर समान नागरिक संहिता का जिक्र कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि अब भारत को कम्युनल सिविल कोड को छोड़कर, सेक्युलर सिविल कोड की ओर आगे आना होगा. उन्होंने कहा कि संविधान बनाने वालों की भावना भी ऐसी रही है कि देश में एक समान, नागरिक संहिता होनी चाहिए. अभी सभी धर्मों की नागरिक संहिता समान है लेकिन इस्लामिक व्यक्तिगत कानूनों में कई अलग प्रावधान हैं, जिनमें बदलाव की मांग की जाती है.

‘मौजूदा कानून भेदभाव करने वाला है’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार सिविल कोड को लेकर चर्चा की है, सिविल कोड को अनेक बार आदेश दिए हैं. देश का एक बड़ा वर्ग मानता है, उसमें एक तरह की सच्चाई भी है कि जिस तरह के सिविल कोड में हम जी रहे हैं, वह कम्युनल सिविल कोड है. भेदभाव करने वाला सिविल कोड है.’

आजादी के 75 साल, हम कम्युनल सिविल कोड के साए में’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हम 75 साल से कम्युनल सिविल कोड में जी रहे हैं, संविधान की भावना भी कहती है हमें करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट भी कहता है हमें करने के लिए, तब संविधाना निर्माताओं का सपना था, उसे पूरा करना हमारा दायित्व है. इस गंभीर विषय पर चर्चा हो, व्यापक चर्चा हो, हर कोई अपना विचार लेकर आए.’

‘धर्म के आधार पर बांट रहा ये कानून’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘उन कानूनों को, जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, ऊंच-नीच का कारण बनते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है. अब समय की मांग है कि एक सेक्यूलर सिविल कोड हो.’

देश को चाहिए सेक्युलर सिविल कोड’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हमने 75 साल कम्युनल सिविल कोड में बिताए हैं, अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है. तब जाकर धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव हो रहे हैं, सामान्य नागरिक को जो दूरी महसूस होती है, तब जाकर उससे मुक्ति मिलेगी. परिवारवार-जातिवाद देश को बहुत नुकसान कर रहा है.’

क्या हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान के मायने?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सौरभ शर्मा बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूदा सिविल नागरिक संहिता को अभी कम्युनल बता रहे हैं. वजह ये है कि इस्लामिक व्यक्तिगत कानून, अभी शरीयत कानूनों से ही चलते हैं. तलाक, विवाह, संपत्ति के अधिकारों को लेकर नियम, सामान्य नियमों से मुस्लिमों के लिए अलग होते हैं. मेंटिनेंस, तलाक, गोद लेने और कई व्यक्तिगत मामलों में अब तक की न्याय प्रक्रिया संहिता से इसमें अलगाव नजर आता है. उनके लिए अलग से मुस्लिम लॉ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इशारा इसी ओर है. तलाक और शादी से जुड़े नियमों में भी अभी एकरूपता नहीं है. देश में एक अरसे से इसे लेकर मांग होती रही है.

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